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अनदेखी से शिथिल पड़ा पंचायत का स्वच्छता उद्योग

जागरण संवाददाता बांदा चित्रकूटधाम मंडल के जिलों में स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण से स्थापित पंचा

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 Jun 2021 10:52 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jun 2021 10:52 PM (IST)
अनदेखी से शिथिल पड़ा पंचायत का स्वच्छता उद्योग
अनदेखी से शिथिल पड़ा पंचायत का स्वच्छता उद्योग

जागरण संवाददाता, बांदा : चित्रकूटधाम मंडल के जिलों में स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण से स्थापित पंचायत सेनेटरी नैपकीन उत्पादन इकाइयां शिथिल पड़ गई हैं। जबकि इनके भवन निर्माण व मशीनों की स्थापना में लाखों रुपये खर्च हुए थे। इकाइयों को सक्रिय रूप से संचालित कर उत्पादन शुरू करने के लिए एक पखवारे की मोहलत दी गई है।

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चित्रकूटधाम मंडल के बांदा, हमीरपुर, चित्रकूट व महोबा में पंचायतीराज विभाग द्वारा पंचायत उद्योग इकाइयां सेनेटरी नैपकीन उत्पादन के लिए स्थापित की गई। ताकि इनके जरिए स्वच्छता को बढ़ावा दिया जा सके। साथ ही लोगों को उद्योग के रूप में रोजगार मिले। विभागीय जानकारी के मुताबिक इन इकाइयों की स्थापना वर्ष 2014 में हुई थी। भवन निर्माण व मशीनों की स्थापना में लाखों रुपये खर्च भी हुए। बताते हैं कि कुछ दिन सेनेटरी नेपकीन का उत्पादन ठीकठाक चला। बाद में इकाइयों का काम शिथिल पड़ गया। जबकि इनके संचालन व देखरेख की जिम्मेदारी उद्योग व्यवस्थापकों के पास है। इकाइयों को सक्रिय रूप से संचालित करने के लिए चित्रकूटधाम मंडल के उपनिदेशक पंचायत ने एक पखवारे की मोहलत दी है। कहा है कि इस समय अवधि के अंदर इकाइयां ठीक से संचालित नहीं हुई तो इसकी जिम्मेदारी उद्योग व्यवस्थापक की होगी।

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- मंडल के चारों जिलों में पंचायत सेनेटरी नैपकीन उत्पादन इकाइयां स्थापित हैं। इन्हें स्थापित हुए छह से सात साल पूरा होने वाला है। इधर इनमें उत्पादन व इनका संचालन शिथिल पड़ गया है। एक पखवारे में पूरी क्षमता के साथ इन्हें शुरू नहीं कराया गया तो संबंधित के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

- दिनेश सिंह, उपनिदेशक पंचायत -----------------------------------

डीपीआरओ डीसी को बनाए प्रभारी

पंचायत सेनेटरी नैपकीन उत्पादन केंद्रों को सक्रिय रूप से पूरी क्षमता के साथ चलाने के लिए डीडी पंचायत ने मंडल के जिला पंचायतराज अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। कहा कि उद्योग व्यवस्थापक द्वारा की जा रही देखरेख के अलावा इन इकाइयों में डीसी (जिला सलाहकार) को प्रभारी बनाया जाए ताकि इनका बेहतर ढंग से संचालन हो और उत्पादन भी क्षमता के अनुरूप हो सके।


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