अछरौड़ घाट में बिना पट्टा निकाला जा रहा लाल सोना
जागरण संवाददाता, बांदा : जनपद की सबसे बड़ी खदान अछरौड़ घाट का टेंडर भले ही पर्यावरण विभाग
जागरण संवाददाता, बांदा : जनपद की सबसे बड़ी खदान अछरौड़ घाट का टेंडर भले ही पर्यावरण विभाग की एनओसी न मिलने से रुका हो। मगर खनन माफिया यहां से लगातार मौरंग का खनन कर रहे हैं। खनिज विभाग व प्रशासन भी इस मामले में कुछ भी कर पाने में असहाय साबित हो रहा है।
जिले की सबसे बड़ी और मालदाल खदान अछरौड़ को हथियाने में बड़े-बड़े तिकड़म लगते हैं। लेकिन सत्ते में सीधे हनक रखने वाले को ही यह पट्टा मिलता है। इस साल अक्टूबर माह बीत गया, लेकिन अभी तक बिना एनओसी यह घाट चालू नहीं हो सका। लेकिन इसमें नदी सीना चीरकर बालू खनन का अवैध कारोबार बराबर फलफूल रहा है। शाम ढलते ही ट्रैक्टर-ट्रालियों की यहां कतारे लग जाती हैं। अछरौड़ घाट से लेकर शहर तक तक्कों (ताकने वाले) को लगाया जाता है। चूंकि केन नदी में अभी पानी ज्यादा होने से शहर से सीधे अछरौड़ घाट नहीं जा सकता है। यहां तक पहुंचने के लिए भूरागढ़ व मोहनपुरवा होते हुए करीब 20 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है। ऐसे में अधिकारी के पहुंचने के पहले कारोबारियों को तक्के सतर्क कर देते हैं। चार दिन पहले खनिज अधिकारी यहां छापा डालकर आधा दर्जन ट्रैक्टर-ट्रालियों को पकड़ा था। इसके बावजूद कारोबारियों के सेहत में कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। जानकारों की मानें तो अवैध खनन में चौकी प्रभारी के लेकर उच्च अधिकारियों तक इसका हिस्सा पहुंचाया जाता है। ये ओवरलोड ट्रैक्टर दिन में भी शहर की सड़कों को रौंदते हैं, लेकिन पुलिस, खनिज और परिवहन विभाग के अफसरों की निगाह इन पर नहीं जाती।
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-अछरौड़ खदान का पट्टा हो चुका है, लेकिन प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से प्रमाण पत्र न मिलने के कारण यह चालू नहीं हो पा रही है। कुछ लोग अवैध ढंग से मौरंग निकला रहे हैं। इनके खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है।
-शैलेंद्र ¨सह, जिला खनिज अधिकारी