धनराशि मिली पूरी, नहरों की सफाई व मरम्मत अधूरी
जागरण संवाददाता बांदा सूखे से जूझ रहे बुदेलखंड में सिंचाई का एक मात्र साधन नहरें ही ह
जागरण संवाददाता, बांदा : सूखे से जूझ रहे बुदेलखंड में सिंचाई का एक मात्र साधन नहरें ही हैं। मगर इन नहरों में पानी से लेकर रखरखाव तक का ध्यान कितना जिला प्रशासन रख रहा है इसकी नजीर सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में मिली। जहां नहरों की सफाई के लिए शासन से धनराशि तो अवमुक्त की गई मगर विभाग उसे खर्च नहीं कर सका। जबकि वित्तीय वर्ष को समाप्त होने में कुछ दिन ही शेष बचे हैं।
जनपद में तीन बांधों के सहारे 1100 किलोमीटर में फैली नहरों से करीब 1.32 लाख हेक्टेअर क्षेत्रफल में सिंचाई का काम किया जाता है। मगर सिल्ट से पटे बांधों की सफाई पर विभाग अभी तक गंभीर नहीं। रनगवां बांध में 155.18 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) पानी की क्षमता है। इसमें महज 66.51 एमसीएम पानी ही स्टोर हो पाता है। वहीं गंगऊ व बरियारपुर बियर भी सिल्ट से पटे होने के कारण पानी स्टोर करने की क्षमता लगभग खो चके हैं। इनमें गर्मी के मौसम में ही एक बार पानी तालाब भरने के लिए मिल पाता है। शासन नहरों की सफाई के लिए लाखों रुपये देता है मगर सफाई सिर्फ कागजों पर होती है। टेल तक कभी भी पानी नहीं पहुंच पाता।
ऐसे मिली धनराशि
शासन ने नहरों की सफाई व मरम्मत के लिए दो अलग-अलग मदों में क्रमश: 2.75 लाख और 66.41 लाख रुपये आठ माह पहले दिए थे। लेकिन नहर विभाग इस धनराशि में महज 33.19 लाख रुपये ही खर्च कर सका है। जहां सफाई हुई वहां औपचारिकता की गई है। अधिकारी व ठेकेदारों ने मिलकर सरकारी धनराशि को ठिकाने लगा दिया। विभाग के पास अभी एक मद के 2.75 हजार और दूसरे मद के 33.22 लाख रुपये डंप हैं। अब लोकसभा चुनाव भी सिर पर हैं और वित्तीय वर्ष के भी चंद दिन ही बचे हैं। ऐसे में धनराशि सरेंडर होने की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
-------------
नहरें : बांदा व अतर्रा ब्रांच, मुख्य नहर
लंबाई : 11.05 किलोमीटर
मरम्मत को मिले : 2.75 लाख रुपये
सफाई को मिले : 66.41 लाख रुपये
खर्च धनराशि 33.19 लाख रुपये
अब तक नहरों की सफाई : 299 किलोमीटर
----------------
-चिह्नित कर नहरों की मरम्मत कराई जा रही है। सफाई के लिए संबंधित ठेकेदारों को सख्त हिदायत दी गई है। अप्रैल में पानी छोड़ने से पहले नहरों की सफाई के निर्देश दिए गए हैं।
आर के शुक्ला, अधिशाषी अभियंता, केन नगर प्रखंड, बांदा