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पूर्व सांसद की धोखाधड़ी पर खनिज अधिकारी ने डाला था पर्दा

- दस्यु सरगना ददुआ के भाई बालकुमार पर दर्ज 65 लाख की धोखाधड़ी का मामला -पीड़ित का आरोप अ

By JagranEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 11:14 PM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 11:14 PM (IST)
पूर्व सांसद की धोखाधड़ी पर खनिज अधिकारी ने डाला था पर्दा
पूर्व सांसद की धोखाधड़ी पर खनिज अधिकारी ने डाला था पर्दा

- दस्यु सरगना ददुआ के भाई बालकुमार पर दर्ज 65 लाख की धोखाधड़ी का मामला

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-पीड़ित का आरोप : आरटीआइ से खनन पट्टे की मांगी थी सूचना, नहीं मिला जवाब जागरण संवाददाता, बांदा : पूर्व सांसद व दस्यु सरगना ददुआ के भाई बालकुमार की लाखों की धोखाधड़ी पर तत्कालीन खनिज अधिकारी ने पर्दा डाला था। पूर्व सांसद पर 65 लाख रुपये की धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराने वाले पीड़ित ठेकेदार का आरोप है कि सूचना का अधिकार से जानकारी मांगने के बाद भी विभाग ने मौरंग खदान के पट्टे के संबंध में सूचना ही नहीं दी। विभागीय साठगांठ से ये फर्जीवाड़ा हुआ।

शहर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला स्वराज कालोनी गली नंबर नौ निवासी पीडब्ल्यूडी ठेकेदार रमाकांत त्रिपाठी ने मुकदमा दर्ज कराकर बताया था कि दस्यु सरगना ददुआ के भाई मीरजापुर के पूर्व सांसद बालकुमार पटेल व उनके साले (ठेकेदार के) रिटायर्ड लेखपाल भानुप्रताप चतुर्वेदी ने दिसंबर-2017 से दिसंबर-2018 तक एक वर्ष के बीच करीब 65 लाख रुपये मौरंग खदान में पाटर्नर बनाने के नाम पर उससे व तीन अन्य रिश्तेदार व ठेकेदार साथियों से लिए थे। उन्होंने 21 लाख रुपये पूर्व सांसद के रायबरेली स्थित बैंक अकाउंट में अलग-अलग तिथियों में आरटीजीएस से जमा किए थे जबकि 44 लाख रुपये नकद दिए थे। उन्होंने बताया था कि पट्टा मिलने की कार्रवाई पूरी हो गई है। बाद में खदान जल्द शुरू होगी कहकर टरकाते रहे और पूरी रकम हड़प ली। ठेकेदार ने तहरीर में इस बात का भी उल्लेख किया था कि पूर्व सांसद ने अपने पुत्र सुधीर के नाम मानपुर खुर्द नरैनी जिला बांदा में पट्टा होना बताया था। फाइल स्वीकृति होने की जानकारी देकर रवन्ना लेना शेष बताया था। सच्चाई जानने के लिए 27 दिसंबर 2018 को आरटीआइ से खनिज विभाग से सूचना मांगी थी कि क्या कोई पत्रावली सुधीर,रमाशंकर व देवशरण पटेल की मानपुर खुर्द नरैनी में मौरंग पट्टे की स्वीकृत हुई है। इसमें एक माह तक उन्हें कोई उत्तर तत्कालीन खनिज अधिकारी की ओर से नहीं मिला। राज्य सूचना आयोग में भी इसकी शिकायत की थी। बाद में खनिज विभाग जाने पर पता चला कि इन नामों की कोई पत्रावली नहीं है। अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर तत्कालीन खनिज अधिकारी व कर्मचारियों ने यह बात क्यों छिपाई। मामले की उच्चस्तरीय जांच हो तो असलियत सामने आएगी। सभी बिदुओं को ध्यान में रखते हुए जांच कर सत्यता सामने लाई जाएगी। खुद मामले में जानकारी ले रहा हूं।

- महेंद्र प्रताप सिंह एएसपी


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