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मेधावी छात्रों ने सीखी दलहन उत्पादन की बारीकियां

जिला विज्ञान क्लब के तत्वाधान में जिले के छात्र-छात्राओं ने कानपुर स्थित भारतीय दलहन अनुसंधान केंद्र में दलहन उत्पादन के तरीके सीखे। विशेषज्ञों ने यहां उन्हें चना मटर मसूर मूंग अरहर आदि के बुवाई के तरीके और रोगों से बचने के उपाय बताए। मुख्य विकास अधिकारी हरिश्चंद्र वर्मा ने मंगलवार को यहां विकास भवन परिसर से भ्रमण पर जा रही छात्र-छात्राओं की

By JagranEdited By: Published: Tue, 03 Dec 2019 11:18 PM (IST)Updated: Wed, 04 Dec 2019 06:07 AM (IST)
मेधावी छात्रों ने सीखी दलहन उत्पादन की बारीकियां
मेधावी छात्रों ने सीखी दलहन उत्पादन की बारीकियां

जागरण संवाददाता, बांदा : जिला विज्ञान क्लब के तत्वावधान में जिले के छात्र-छात्राओं ने कानपुर स्थित भारतीय दलहन अनुसंधान केंद्र में दलहन उत्पादन के तरीके सीखे। विशेषज्ञों ने यहां उन्हें चना, मटर, मसूर, मूंग अरहर आदि के बोवाई के तरीके और रोगों से बचने के उपाय बताए।

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मुख्य विकास अधिकारी हरिश्चंद्र वर्मा ने मंगलवार को यहां विकास भवन परिसर से भ्रमण पर जा रही छात्र-छात्राओं की बस को हरी झंडी दिखाई। शैक्षिक भ्रमण यात्रा में जनपद के 40 छात्र-छात्राएं और 10 शिक्षक शामिल हैं। छात्र-छात्राओं का दल ज्ञानार्जन यात्रा के तहत कानपुर स्थित भारतीय दलहन अनुसंधान केंद्र कानपुर पहुंचा। सीडीओ ने इस दौरान कहा कि ज्ञान की कोई सीमा नहीं, जहां मिले समेट लेना चाहिए। एक्सपोजर विजिट से मेधावी विद्यार्थियों को सोंच कर करने की क्षमता का विकास होता है। करियर के लिए नवीन एवं वैज्ञानिक क्षेत्रों के बारे में जानकारी मिलती है। भ्रमण यात्रा का संचालन कानपुर के प्रधान वैज्ञानिक डा.राजेश कुमार ने किया। एक्सपोजर विजिट समन्वयन क्लब के शनि कुमार व अभिषेक कुमार ने किया। प्रधान वैज्ञानिक डा. राजेश कुमार ने अपने क्षेत्र की प्रमुख दलहनों से परिचित कराते हुए बाताया की रबी, खरीफ, जायद इसके तहत ही फसल उगाई जाती है। चना, मटर, मसूर, चटरी, राजमा यह रबी फसल हैं। अरहर, ग्वार, लोबिया यह खरीफ व जायद में मूंग उरद फसल आती हैं। शनि कुमार ने बताया दलहन अनुसंधान संस्थान में हमारी जलवायु के अनुकूल फसलों व दालों पर शोध कार्य किया जाता है। वैज्ञानिक हेमंत कुमार ने बताया कि दलहन उत्पादन कैसे किया जाए व दलहन उत्पादन को रोगाणुओं से कैसे बचाया जाए। इस पर नियमित समाधान खोजने का प्रयास किया जाता है। क्लब के अभिषेक कुमार ने बताया कि बांदा भी दलहन के लिए जाना जाता है। यहां पर्याप्त मात्रा में चना, मटर, मसूर, मूंग, अरहर आदि की दलहन उगाई जाती है। विजिट में कानपुर आइआइटी के वैज्ञानिक एसके भट्ट ने भी प्रमुख वैज्ञानिक जानकारी प्रदान की। विजिट में मार्गदर्शक शिक्षक के रूप में प्रियंका सिंह, रेखा, राजा, प्रदीप पांडेय, विनोद कुमार, चंद्रभान गुप्ता व अनिरुद्ध सिंह, हेमंत कुमार आदि उपस्थित रहे। अंत में विद्यार्थियों से प्रश्न पूछे गए। सही जबाब देने वालों को पुरस्कृत भी किया गया।


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