गंदगी से मैला हो रहा जीवनदायिनी केन का आंचल
के रिसाइक्लिग प्लांट का कार्य जागरण संवाददाता बांदा एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रयूबनल) ने अभी हाल ही में नदियों को मैला करने वाले जिम्मेदारों पर भारी भरकम जुर्माना का प्राविधान किया है। फिर भी नगर पालिका स्वच्छता मिशन को आइना दिखा रहा है। लापरवाही से यहां गलियों व सड़कों से निकलने वाला टनों कूड़ा सड़कों के किनारे फेंका जा रहा है। मंडल मुख्यालय में कूड़ा डंपिग की समस्या नासूर बनती जा रही है। गंगा समेत अन्य नदियों को निर्मल बनाने
जागरण संवाददाता, बांदा : एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रयूबनल) ने अभी हाल ही में नदियों को मैला करने वाले जिम्मेदारों पर भारी भरकम जुर्माना का प्राविधान किया है। फिर भी नगर पालिका स्वच्छता मिशन को आइना दिखा रहा है। लापरवाही से यहां गलियों व सड़कों से निकलने वाला टनों कूड़ा सड़कों के किनारे फेंका जा रहा है। मंडल मुख्यालय में कूड़ा डंपिग की समस्या नासूर बनती जा रही है।
गंगा समेत अन्य नदियों को निर्मल बनाने के लिए केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। लेकिन जिले में इन योजनाओं का शायद ही कोई प्रभाव हो। गंदगी की वजह से ही इस वर्ष देश भर की रैकिग में बांदा जिले को सबसे नीचे का स्थान मिला है। वहीं यह सूबे में 49वें स्थान पर रहा। पूरे शहर भर का कूड़ा राष्ट्रीय राज मार्गों के किनारे ठिकाने लगाया जा रहा है। प्रतिदिन इन जगहों पर 55 से 60 मीट्रिक टन के करीब निकलने वाला कूड़ा शहर को प्रदूषित कर रहा है। नगर पालिका कर्मियों द्वारा कूड़े के ढेर को केन नदी किनारे डंप कर उसे जला दिया जाता है। जिससे प्रदूषण तो फैल ही रहा है, आसपास के रहने वाले लोगों बीमार हो रहे हैं। कू़ड़े के निस्तारण के लिए कोई व्यवस्था नहीं हो पा रही है। जबकि सरकार के साथ हाईकोर्ट व एनजीटी भी इसे लेकर सख्त है। डीएम हर मंगलवार को केन आरती करा रहे हैं। वहीं आरती स्थल के बगल ही टनों कचरा डंप है।
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शहर में कूड़े की स्थिति :
प्रतिदिन निकलने वाला कचरा : 54 से 60 मीट्रिक टन
कूड़ा उठान की सुविधा : दो बड़े ट्रक, दो ट्रैक्टर, दो पिकअप, दो डीसीएम
लगाए गए कर्मचारी : 40
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-शहर के किनारे दुरेड़ी गांव में साढ़े तीन एकड़ भूमि को कूड़ा डंपिग स्थल के लिए चिह्नित किया है। पांच करोड़ की लागत में इस योजना के लिए तीन करोड़ रुपये शासन से मिले हैं। कू़ड़े का डंप का स्टेशन तैयार किया जा रहा है। यहां पर कूड़ा रिसाइक्लिग कर कंपोस्ट किया जाएगा।
-संतोष कुमार मिश्र, ईओ, नगर पालिका बांदा
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दो करोड़ की सीवरेज योजना भी फ्लाप :
जिले को साफ-सुथरा रखने के लिए दशक भर पहले सीवरेज योजना शुरू हुई थी। इसमें शहर में पाइपलाइन डाली गई है। लेकिन यह अधूरी है। इसमें 10 करोड़ से ज्यादा खर्च हो चुके हैं। केन किनारे पांच करोड़ लागत से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट छह वर्षों से अधूरा बना पड़ा है। जल निगम एक्सईएन गौरव चौधरी ने बताया कि शासन से बजट नहीं आया। इसलिए कार्य रुका है। उधर, शहर से निकलने वाला गंदा पानी नालों के जरिए केन में जा रहा है।