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बांदा में सड़क पर ट्रायल देख दिया जाता है लाइसेंस

जागरण संवाददाता बांदा उस शहर की यातायात व्यवस्था का हाल खुद जाना जा सकता है जहां स

By JagranEdited By: Published: Sun, 29 Nov 2020 10:54 PM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2020 10:54 PM (IST)
बांदा में सड़क पर ट्रायल देख दिया जाता है लाइसेंस
बांदा में सड़क पर ट्रायल देख दिया जाता है लाइसेंस

जागरण संवाददाता, बांदा : उस शहर की यातायात व्यवस्था का हाल खुद जाना जा सकता है, जहां संभागीय परिवहन कार्यालय ही बेपटरी हो। लर्निंग हों या फिर स्थायी लाइसेंस, आवेदक का ट्रायल सड़क पर ही ले लिया जाता है। यहां पर कोई भी ऐसा ट्रैक नहीं, जहां वाहन चलवाकर देखा जा सके। दिलचस्प यह कि सड़क पर ट्रायल के दौरान गाड़ी भिड़ने से पहले हुए बवाल को देख अधिकारी सहमे रहते हैं। नतीजा, भवन की पहली मंजिल पर लगे शीशे से ही गाड़ी और आवेदक को देख फेल-पास कर दिया जाता है। बबेरू मुख्य मार्ग के किनारे बने आरटीओ के सामने ही नियमों की धज्जियां उड़ती रहती हैं।

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आइए एक नजर डालते हैं उस विभाग पर, जिसके ऊपर वाहन चालकों को लाइसेंस देने की जिम्मेदारी है। कहा तो यही भी जा सकता है कि पहले खुद दफ्तर को पटरी पर लाने की जरूरत है, जिससे नियमों का पालन हो सके। दावा यह कि लाइसेंस के लिए प्रतिदिन करीब साठ आवेदक पहुंचते हैं। माह में औसतन सात से आठ सौ लाइसेंस निर्गत किए जाते हैं। कैसे पूरी होती है प्रक्रिया, पर मिलने वाला जवाब ही पूरी कहानी बताने को काफी है। बकौल आरआइ एसएल गौड़, बिजली गुल होते ही अंधेरे में काम करते हैं। (जाहिर है कि टेस्ट दे रहे आवेदक का लैपटॉप भी बंद हो जाएगा) सड़क पर गाड़ी चलाने का ट्रायल लेने पर कई बार गाड़ी भिड़ गई तो लोगों ने मुझे ही घेर लिया। अब तो ऊपर से ही शीशे से देख लेते हैं, आवेदक गाड़ी लिए है तो समझ जाते हैं चलाना जानता होगा। यह है यहां पर लाइसेंस देने का सिस्टम। प्रक्रिया के पीछे कई तरह के सिस्टम काम करते हैं। हाल ही में उजाड़े गए हैं दलालों के अड्डे

कार्यालय के आसपास सजी दुकानों पर कुछ दिन पहले ही जिला प्रशासन की नजरें तिरछी हो चुकी हैं। सजी अवैध दुकानों को धराशायी कर दिया गया है। अब लाइसेंस व अन्य काम कराने वाले सड़क पर ही घूमते मिल जाते हैं। हालांकि स्थायी बनी कुछ दुकानों में बोर्ड भले ही दूसरे लगे हैं, पर असली काम लाइसेंस व काम कराने का ठेका लेना ही है। तीन चरण में सड़क पर होता ट्रायल

नियमों का कोरम पूरा करने के लिए सड़क पर ही तीन चरणों में वाहनों को चलाने का ट्रायल लिया जाता है। दिलचस्प यह कि इसी बिल्डिग में विभागीय आलाधिकारी तक बैठते हैं पर घालमेल पर नजरें किसी की नहीं जातीं या फिर जानकर अन्जान बने हैं।


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