कोरोना से हुई मौत के आंकड़ों में बाजीगिरी, कारण स्पष्ट नहीं
जागरण संवाददाता बांदा कोरोना के कारण असमय अपनी जान गंवाने वाले कई लोगों के स्वजन सरका
जागरण संवाददाता, बांदा : कोरोना के कारण असमय अपनी जान गंवाने वाले कई लोगों के स्वजन सरकारी नियमों के चक्कर में परेशान हो रहे हैं। कोरोना से मौत के बाद भी इसे साबित करने में वह सफल नहीं हो पा रहे हैं। चिता यह कि सरकार कोरोना से होने वाली मौत पर आश्रित परिवार को कोई मुआवजा देने की घोषणा करती है तो सरकारी नियम के अनुसार मृतक का कोविड पॉजिटिव सर्टिफिकेट आवश्यक होगा।
शहर के मठियानाका निवासी शबाना अंजुम की तबीयत बिगड़ गई थी। उनको 26 अप्रैल को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। कोरोना की जांच में रिपोर्ट पॉजटिव निकली और जिला अस्पताल से रेफर कर 27 अप्रैल को मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया। एक मई को उपचार के दौरान मौत हो गई। शबाना अंजुम के पति रिजवान अहमद सिद्दीकी ने बताया कि वह महोबा के जूनियर हाईस्कूल शाह पहाड़ी में प्रभारी प्रधानाध्यापक थीं। यहां उनकी ससुराल है। पहले महोबा में इलाज कराया था। ठीक नहीं होने पर यहां ले आए थे। उन्होंने अपनी पत्नी के मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया तो जो प्रमाण-पत्र मेडिकल कालेज द्वारा दिया गया है। उसमें उनकी पत्नी की मृत्यु किस वजह से हुई, यह कुछ भी नहीं दर्शाया गया है। कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर ही उनका इलाज किया गया। दुर्भाग्य से उसे बचाया नहीं जा सका, बावजूद इसके उन्हें कोरोना से मौत नहीं माना जा रहा है। अब वह दर-दर भटकने को विवश हैं। कोरोना से होने वाली मौत के आंकडों में भी बाजीगरी की जा रही है।