दो साल से फाइलों में ही खेल रहा इंडिया
जागरण संवाददाता, बांदा : खेलो इंडिया के तहत खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए दो साल से फु
जागरण संवाददाता, बांदा :
खेलो इंडिया के तहत खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए दो साल से फुटबाल मैदान का निर्माण नहीं हो सका है। स्टेडियम के लिए जमीन चिह्नित होने के बावजूद निर्माण शुरू करने की अनुमति शासन से नहीं मिल सकी। सन्निकट लोकसभा चुनाव की वजह से
स्टेडियम निर्माण का कार्य अटक सकता है। जिले में फुटबाल के शौकीन युवाओं को निराशा हाथ लगेगी।
खेलो इंडिया योजना में फुटबाल मैदान और ¨सथेटिक रे¨सग ट्रैक के लिए वर्ष 2016-17 में खिलाड़ियों के लिए महोबा रोड में ग्रामीण मिनी स्टेडियम और बबेरू में सिमौनी धाम में जमीन चिह्नित की गई थी। इसके पहले पंडित जेएन डिग्री कॉलेज मैदान का चुनाव हुआ। लेकिन किन्हीं कारणों से निरस्त कर दी गई। युवाओं में उम्मीद बंधी थी कि इस साल काम शुरू हो जाएगा, लेकिन फाइल शासन स्तर पर अटकी है। ¨सथेटिक कर्व फुटबाल ग्राउंड के लिए पहल शुरू करने वाला कोई नहीं है। मिनी स्टेडियम अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होने पर दो लाभ होंगे। एक तो खिलाड़ियों के लिए मैदान संवर जाएगा, दूसरा सालों से वीरान पड़े मिनी स्टेडियम की तस्वीर बदल जाएगी। लेकिन अब ग्रामीण युवा खिलाड़ियों को ये सुविधाएं मिल पाना मुमकिन नहीं दिख रहा है। सरकार बदली तो योजना भी खटाई में पड़ जाएगी। फुटबाल के खिलाड़ियों के लिए यह सिर्फ दिवास्वप्न ही साबित होगा।
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बिना संसाधन बनाई पहचान :
प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। मवई बुजुर्ग के युवा फुटबाल खिलाड़ी रमेश प्रजापति ने इसे साबित किया। जीआईसी में इंटर के छात्र रमेश ने कोलकाता में पिछले साल राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित हुई प्रतियोगिता में टीम को दूसरा स्थान दिलाया।यह सब खेतों व गांवों के मैदानों में मामूली सुविधाओं के बीच किया।
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ये मिलनी हैं सुविधाएं :
सात करोड़ की लागत से 90 बाई 45 मीटर का ¨सथेटिक कर्व फुटबाल ग्राउंड, धावकों के लिए 400 मीटर का र¨नग ट्रैक व ग्राउंड के चारों ओर बैठने के लिए रैंप निर्माण सहित फ्लड लाइटें लगानी हैं। ड्रे¨सग रूम व प्रशिक्षक की भी व्यवस्था होनी है।
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-युवा कल्याण विभाग से पूरी तैयारी है। बस शासन से सहमति का इंतजार है। इस साल के अंत तक उम्मीद थी, लेकिन अभी तक अनुमति नहीं मिली।
रामबाबू वर्मा,क्षेत्रीय युवा कल्याण अधिकारी, बांदा।