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श्वेतधारा के साथ बढ़ी हरियाली, पशु व मत्स्य पालन से मिला लाभ

जागरण संवाददाता बांदा पशुपालन व वन विभाग सहित डेयरी व मत्स्य पालन के अधिकारियों ने चार सा

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Feb 2021 06:06 PM (IST)Updated: Thu, 25 Feb 2021 06:06 PM (IST)
श्वेतधारा के साथ बढ़ी हरियाली, पशु व मत्स्य पालन से मिला लाभ
श्वेतधारा के साथ बढ़ी हरियाली, पशु व मत्स्य पालन से मिला लाभ

जागरण संवाददाता, बांदा : पशुपालन व वन विभाग सहित डेयरी व मत्स्य पालन के अधिकारियों ने चार सालों में कराए गए कार्यों व योजनाओं की प्रगति का रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत किया। अधिकारियों ने कहा कि पौधरोपण से हरियाली व डेयरी की योजनाओं से दुग्ध उत्पादन का दायरा बढ़ा है। पशुपालन विभाग ने चार सौ से अधिक निराश्रित गोवंशों को पशुपालकों के सुपुर्द किया है। वहीं मत्स्य पालन के लिए तालाबों व फिश सीड रियरिग यूनिट का निर्माण कराया गया है।

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विकास भवन स्थित मुख्य पशु चिकित्साधिकारी कार्यालय में वन, पशुपालन, डेयरी व मत्स्य विभाग के अधिकारियों ने संयुक्त रूप से प्रेस वार्ता में चार सालों की उपलब्धियां गिनाई। जिला प्रभागीय वनाधिकारी संजय अग्रवाल ने बताया कि वन प्रभाग के अंतर्गत चार रेंज बांदा, तिदवारी, पैलानी व बबेरू स्थापित हैं। प्रभाग का कुल क्षेत्रफल 5193.547 हेक्टेअर है। सरकार की विभिन्न योजनाओं द्वारा मृदा व जल संरक्षण के कार्यों के साथ ही पौधारोपण के कार्य कराए जाते हैं, जिससे हरियाली बढ़ी है। दुग्ध निरीक्षक शारदा प्रसाद ने बताया कि पहले की तुलना दुग्ध उत्पादन बढ़ा है। शहर के नरैनी रोड पर अवशीतन केंद्र परिसर में आधुनिक मल्टी प्रोडक्ट, ग्रीन फील्ड, दुग्धशाला निर्माण के लिए शासन ने 103.6 करोड़ की धनराशि दी है। इसके निर्माण से चित्रकूटधाम मंडल के ग्रामीण क्षेत्र के किसान व दुग्ध उत्पादकों को रोजगार मिलेगा। वहीं शहरी क्षेत्र के लोगों को उच्च गुणवत्ता का दूध उचित मूल्य पर दूध व इसके उत्पादों की उपलब्धता उचित मूल्य पर सुनिश्चित होगी। मत्स्य विभाग अधिकारी जंगबहादुर पटेल ने बताया कि मत्स्य विभाग ने निजी क्षेत्र में तालाब, निवेश, फिश सीड रियरिग यूनिट, मछुवा आवास, मनरेगा से तालाब एवं मत्स्य बीज के लिए हेचरी का निर्माण कराया गया। वहीं मोटरसाइकिल विद आइस बाक्स, लघु फीस फीड मिल आदि की योजनाएं चलाई जा रही हैं। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ.एसपी सिंह ने बताया कि जिले के गोवंश आश्रय स्थलों में 38 हजार 586 गोवंश संरक्षित कर भरण-पोषण किया जा रहा है। इसके अलावा मुख्यमंत्री निराश्रित, बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना के तहत 417 गोवंश सुपुर्द किए जा चुके हैं। इन्हें भरण-पोषण के लिए 30 रुपये प्रतिदिन प्रति गोवंश के हिसाब से आर्थिक सहायता दी जा रही है। राष्ट्रीय गोकुल मिशन, सेक्स सार्टेड सीमेन द्वारा कृत्रिम गर्भाधान, महिला समृद्धीकरण बायलर परियोजना भी पशुपालन विभाग से संचालित है। प्रेसवार्ता में सदर पशु चिकित्सालय के डॉ.राजीव धीर मौजूद रहे।


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