प्रशासन की नजर में ओला-बारिश से नहीं हुई फसलों की क्षति
जागरण संवाददाता, बांदा : प्रधानमत्री फसल बीमा योजना जिले के डेढ़ से ज्यादा किसानों के लिए बेमान
जागरण संवाददाता, बांदा : प्रधानमत्री फसल बीमा योजना जिले के डेढ़ से ज्यादा किसानों के लिए बेमानी साबित हो रही है। बीमा कंपनी 40 फीसद से नीचे हुई फसलों की क्षति की भरपाई को तैयार नहीं हैं। प्रशासन पिछले पखवारे में हुई ओलावृष्टि व बारिश से फसलों में एक भी नुकसान नहीं मान रही। जबकि जसपुरा व कमासिन क्षेत्र में फसलों का नुकसान हुआ है। कंपनी ने बीमा धारक किसानों के खेतों का सर्वे करना तक मुनासिब नहीं समझा।
बुंदेलखंड में अन्नदाताओं का साथ कुदरत देने को तैयार नहीं है। वहीं शासन-प्रशासन भी उनसे रूठा हुआ है। किसानों को फसलों के जोखिम से बचाने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की थी। इसके तहत जिले के केसीसी धारक व गैर केसीसी धारक किसानों का फसल बीमा कराया जाता है। केसीसी धारकों को स्वत: बीमा हो जाता है। प्रीमियम की धनराशि उनके खाते से कट जाती है। जबकि बिना कर्जधारक किसानों को कैंपों के जरिए कृषि विभाग बीमा कराता है। एसबीआइ इश्योरेंस कंपनी को चित्रकूटधाम मंडल में नामित किया गया है। प्रीमियम के नाम पर कंपनी लाखों रुपये कमा रही है। इधर, फरवरी के पहले सप्ताह में ओला वृष्टि से करीब सैकड़ा भर किसान प्रभावित हुए। कमासिन, ¨तदवारी व जसपुरा ब्लाक में इन किसानों की अरहर, मसूर, चना, सरसो,मटर,अलसी आदि की फसलें खेतों में बिछ गईं। कृषि विभाग ने भी इस समय फसलों के नुकसान की बात स्वीकार की थी। लेकिन अब प्रशासन और कृषि विभाग जनपद में ओलावृष्टि व बारिश से फसलों का एक भी नुकसान मानने को तैयार नहीं है। यही वजह है कि अन्य जिलों में बीमा कंपनी व कृषि विभाग से प्रशासन नुकसान का आंकलन करवा रहा है और जिले में ऐसा कुछ नहीं है। उधर, किसानों ने कई बार डीएम को ज्ञापन देकर मुख्यमंत्री से मुआवजे की मांग भी की है। फिर भी प्रशासन अन्नदाताओं की समस्या को गंभीरता से नहीं ले रहा है।
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आंकड़ों के आइने में
जनपद में कुल किसान : 2.20 लाख
कुल बीमित किसान 1.39 लाख
बीमा की जिम्मेदारी : एसबीआई इंश्योरेंस कंपनी
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-ओलावृष्टि व बारिश में फिलहाल जिले में कोई नुकसान नहीं हुआ है। इसीलिए बीमा कंपनी व कृषि विभाग के कर्मचारियों को सर्वे में नहीं लगाया गया है। नुकसान होगा तो किसानों को बीमा कंपनी हर हाल में मुआवजा देगी।-हीरालाल, जिलाधिकारी, बांदा