छह माह में सवा लाख श्रमिकों ने मनरेगा में मांगा काम
जागरण संवाददाता बांदा साल के छह महीनों में मनरेगा में काम करने वाले श्रमिकों का दायरा
जागरण संवाददाता, बांदा : साल के छह महीनों में मनरेगा में काम करने वाले श्रमिकों का दायरा बढ़ गया है। करीब सवा लाख श्रमिकों ने काम की मांग की है। विभाग का दावा है कि ज्यादातर श्रमिकों को मनरेगा से गांव में ही रोजगार दिया गया है।
मनरेगा सरकार की रोजगारपरक महत्वाकांक्षी योजना है। कोरोना काल में जब परदेश में काम धंधे ठप हो गए तब गांव में इस योजना से लोगों को रोजगार मिला। मौजूदा वित्तीय वर्ष के शुरुआत में कोरोना की दूसरी लहर का लोगों को सामना करना पड़ा था। इसके बाद जब स्थिति सामान्य हुई तो एक बार फिर यह योजना श्रमिकों के काम आई। साल के छह महीनों में करीब सवा लाख श्रमिकों ने काम के लिए आवेदन किया है। विभाग का दावा है कि अब तक एक लाख पांच हजार श्रमिकों को काम दिया जा चुका है। गांवों में जल संरक्षण सहित कई अन्य काम चल रहे हैं। जिनमें श्रमिकों को रोजगार मिल रहा है। वित्तीय वर्ष के अंत तक लक्ष्य से ज्यादा प्रगति होने की विभागीय अधिकारी उम्मीद लगाए हुए हैं।
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जिले में ढाई लाख सक्रिय जाबकार्ड धारक
बांदा : मनरेगा योजना गांव-गांव संचालित हैं। मौजूदा समय में जिले में दो लाख 60 हजार कुल जाबकार्ड धारक हैं। विभाग का कहना है कि इनमें 2.50 लाख जाबकार्ड धारक सक्रिय हैं जो योजना से रोजगार की मांग कर उसे पूरा करते हैं।
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50 फीसद महिला श्रमिकों की भागीदारी
बांदा : जिले में पुरुष श्रमिकों के साथ महिला श्रमिक मनरेगा योजना में बराबरी पर रोजगार के लिए श्रम कर रही हैं। अब तक जिले में 20 लाख 52 हजार मानव दिवस स्त्रजित किए जाने का दावा किया जा रहा है। इनमें 50 फीसद मानव दिवस महिला श्रमिकों के शामिल हैं।
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-सितंबर माह में मनरेगा योजना के तहत मानव दिवस सृजन का लक्ष्य 100 फीसद से भी अधिक रहा। इस महीने 19 लाख 22 हजार मानव दिवस का लक्ष्य मिला था। इसके सापेक्ष 20 लाख 52 मानव दिवस सृजित हुए हैं।
-राघवेंद्र तिवारी, उपायुक्त, मनरेगा, बांदा