मैं अतर्रा महाविद्यालय..बेटी इंदु ने रखी मेरी नींव
बिहारी दीक्षित, संवाद सहयोगी, अतर्रा (बांदा): कस्बे में उच्च शिक्षा के प्रतिष्ठित संस्थान अतर्रा मह
बिहारी दीक्षित, संवाद सहयोगी, अतर्रा (बांदा): कस्बे में उच्च शिक्षा के प्रतिष्ठित संस्थान अतर्रा महाविद्यालय की जब नींव रखी गई तब वह ऐतिहासिक पल था। उस पल से देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की यादें जुड़ी हैं। हालांकि, उस वक्त वह प्रधानमंत्री नहीं थीं। प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू के साथ बेटी इंदु के रूप में उच्च शिक्षा का यह पौधा रोपा था। 59 वर्ष पूर्व के उस वक्त को याद कर आज भी बुजुर्गो की आंखों में चमक आ जाती है। वे बताते हैं कि क्या अद्भुत क्षण था वो। हमारा सौभाग्य रहा कि उस ऐतिहासिक क्षण के गवाह बने।
86 वर्षीय पूर्व विधायक हरवंश प्रसाद पांडेय बताते हैं, वह दिन 1 नवंबर 1959 का था। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के साथ उनकी पुत्री इंदिरा गांधी कांग्रेस के कार्यक्रम में बांदा आई हुई थीं। तब ब्रह्मदेव वाजपेयी (जमीन दाता) और जगपत ¨सह ने बांदा पहुंच पंडित नेहरू जी से अतर्रा में महाविद्यालय के शिलान्यास की गुजारिश की थी। कस्बे के बांदा रोड अतर्रा के राजकीय आयुर्वेदिक कालेज के सामने एक निर्जन स्थान पर जवाहरलाल नेहरू ने अपनी पुत्री इंदु के हाथों उस महाविद्यालय का शिलान्यास कराया था। पूर्व विधायक का कहना है कि उस क्षण की यादें आज भी हमारे दिलों में बसी हैं। हालांकि, मलाल इस बात का है कि इंदिरा प्रधानमंत्री बनने के बाद फिर कभी अतर्रा नहीं आ सकीं। महाविद्यालय में शिलान्यास का पत्थर तो लगा दिया गया, लेकिन उनकी प्रतिमा लगाने की तरफ किसी का ध्यान नहीं गया। अतर्रा महाविद्यालय में आज देश के ही नहीं, विदेशों के छात्र भी शिक्षा ग्रहण करते हैं। यहां से पढ़े कई छात्र उच्च प्रशासनिक पदों पर कार्यरत हैं।