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यमुना पट्टी में बेसहारा गोवंश को पकड़ने के लिए लखनऊ से बुलाई गई टीम

जागरण संवाददाता बांदा यमुना पट्टी के जंगलों में विचरण करने वाली बेसहारा गायें किसानों की फ

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 Jan 2021 11:43 PM (IST)Updated: Fri, 15 Jan 2021 11:43 PM (IST)
यमुना पट्टी में बेसहारा गोवंश को पकड़ने के लिए लखनऊ से बुलाई गई टीम
यमुना पट्टी में बेसहारा गोवंश को पकड़ने के लिए लखनऊ से बुलाई गई टीम

जागरण संवाददाता, बांदा : यमुना पट्टी के जंगलों में विचरण करने वाली बेसहारा गायें किसानों की फसलों को चौपट कर रही हैं जिससे अन्नदाताओं में नाराजगी है। जिलाधिकारी ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक लखनऊ को पत्र लिखकर डार्ट गन एवं विशेषज्ञों की टीम भेजने का अनुरोध किया है।

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बुंदेलखंड में अन्ना प्रथा एक बड़ी समस्या बन चुकी है। इससे निपटने के लिए शासन-प्रशासन द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं। बावजूद इसके कई स्थानों पर अभी इनके झुंड नजर आते हैं। जिले की सीमावर्ती यमुना पट्टी के जंगली क्षेत्र में यह अन्ना पशु फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। आहत किसानों की मांग पर डीएम आनंद कुमार सिंह ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक व विभागाध्यक्ष को पत्र लिखकर अवगत कराया है कि जिले के तिदवारी ब्लॉक के ग्राम जौहरपुर में फसलों को नुकसान पहुंचा रहे बेसहारा पशुओं को पकड़ने के प्रयास किए गए, लेकिन यह पकड़ में नहीं आ रहे हैं। इन्हें वन्य जीव विशेषज्ञों की ट्रैंक्यूलाइजिंग टीम द्वारा पकड़ा जाए। नजदीक के संचालित पशुबाड़ों में पहुंचाया जाए। डीएम ने मवेशियों को ट्रैंक्यूलाइज कर बेहोश करने के लिए डार्ट गन के साथ तीन दिन के अंदर विशेषज्ञों की टीम भेजने का अनुरोध किया है।

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जौहरपुर के नदी तटवर्ती जंगली क्षेत्रों में विचरण कर रही गायें अब पकड़ से दूर हो गई हैं। कई बार पकड़ने का प्रयास किया गया, लेकिन सफलता नहीं मिली। अब वन विभाग के विशेषज्ञों की टीम का सहारा लिए जाने के लिए अनुरोध किया है।

-डॉ. राजीव धीर, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी

20 से 25 गायों का है झुंड

पैलानी/तिदवारी : यमुना पट्टी में विचरण करने वाली गायों की संख्या लगभग 20 से 25 बताई जा रही है। यह अकेले जौहरपुर तक ही सीमित नहीं है बल्कि इनका विचरण करीब 15 से 20 किमी के दायरे में रहता है। पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने भी बताया कि तिदवारी से लेकर चिल्ला के बीच इनका विचरण होता है और फसलों को चरती हैं।

संरक्षित हैं 32 हजार गोवंश

बेसहारा गायों के संरक्षण के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं चलायी जा रही हैं और प्रोत्साहन स्वरूप मदद भी की जा रही है। जिले में मौजूदा समय छोटी-बड़ी 209 गोशालाएं संचालित हैं। इनमें स्थायी व अस्थायी दोनों ही संचालित है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने बताया कि इन गोशालाओं में वर्तमान में लगभग 32 हजार गोवंश संरक्षित है। जिनका भरण-पोषण किया जा रहा है।


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