Move to Jagran APP

खाद्य विभाग में चल रहा जोड़-तोड़ का खेल

संवाद सहयोगी, बबेरू : एक ओर सरकार बेहतर योजनाएं लाकर गरीबों तक उसको पहुंचाने के लिए

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Oct 2018 05:20 PM (IST)Updated: Sun, 21 Oct 2018 05:20 PM (IST)
खाद्य विभाग में चल रहा जोड़-तोड़ का खेल
खाद्य विभाग में चल रहा जोड़-तोड़ का खेल

संवाद सहयोगी, बबेरू : एक ओर सरकार बेहतर योजनाएं लाकर गरीबों तक उसको पहुंचाने के लिए रोज नए कानून ला रही है। वहीं इन कानूनों शत फीसद पालने करने का दबाव बना रही है। वहीं जिले के अधिकारी व कर्मचारी तू डाल-डाल मै पात-पात के फार्मूले पर काम कर बीच का जुगाड़ निकाल रहे है। ऐसा ही कुछ इन दिनों खाद्य एवं रसद विभाग में देखने को मिल रहा है। जहां सरकार खाद्य सुरक्षा कानून लाकर गरीबों को सस्ता राशन उपलब्ध करा रही है। वहीं विभागीय कर्मचारी इन्हीं कार्ड धारकों के सदस्यों के संख्या घटाने व बढ़ने के नाम पर लाखों रुपये का राशन डकार रहे हैं ।

loksabha election banner

इस तरह होता है खेल

विभागीय सूत्रों की माने तो प्रतिमाह सैकड़ों कार्ड धारकों में सदस्यों की संख्या कम कर दी जाती है। इससे राशन लेन पहुंचे व्यक्ति को राशन नहीं मिलता। इसके बाद शुरू होती है विभाग की भाग दौड़। अगर नाम जुड़ भी जाए तो दुकानदार ये कहकर राशन नहीं देता कि अब इस यूनिट का राशन अगले माह से ही मिल पाएगा। इससे प्रतिमाह लाखों रुपये के राशन की हेरा फेरी की जाती है।

------------------------

यूनिट जुड़वाने के नाम पर मांगा जाता है सुविधा शुल्क

कार्ड धारकों की माने तो जब उनके कार्ड में सदस्यों की संख्या कम कर दी जाती और वह अपने साक्ष्य लेकर विभाग को जाते हैं तो उनसे सुविधा शुल्क के नाम पर दो सौ से तीन सौ रुपये तक की मांग की जाती है। और ये न देने महीनों तक विभाग के चक्कर लगवाए जाते हैं। पूर्ति निरीक्षक का कहना है कि जिन लोगों को कार्ड में सदस्यों की संख्या कम हो गई है विभाग में आकर जुड़वा लें।

------------------------

कार्ड धारकों की यूनिट काटने व जोड़ने के नाम पर खेल की हमारे पास कोई जानकारी नहीं है। अगर कोई शिकायत आती है तो उसकी जांच कराकर दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

- अरविंद तिवारी, एसडीएम

----------------------

पास मशीनों से नहीं हो रहा वितरण

बबेरू : सार्वजनिक वितरण प्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए भले ही सरकार ने सभी राशन विक्रेताओं को पास मशीनें दे दी है। मगर क्षेत्र में आज तक इन मशीनों का प्रयोग नहीं किया जा रहा। अभी भी वितरण प्रणाली पुरानी व्यवस्था पर ही कायम है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.