पान की खेती से संवरेगी किसानों की किस्मत
जागरण संवाददाता, बांदा : महोबा और बांदा जनपद पान की खेती में कभी अग्रणी रहे हैं। यहां क
जागरण संवाददाता, बांदा :
महोबा और बांदा जनपद पान की खेती में कभी अग्रणी रहे हैं। यहां का पान बनारस के पान को मात देता रहा है। शासन की उपेक्षा से दशक भर से इस व्यवसाय के बुरे दिन शुरू हो गए। अब महोबा व बांदा दोनों जनपदों में पान की खेती को पुनर्जीवित करने की योजना बनाई है। उद्यान विभाग के माध्यम से 90 पान के बरेजे तैयार किए जाएंगे। उद्यमी को प्रति बरेजा 25 हजार रुपये की मदद मिलेगी।
बांदा जनपद का बरईमानपुर और महोबा शहर देसी पान का हब रहा है। वर्ष 1876 में महोबा में किसान रामआधीन ने बनारस की तर्ज पर यहां पान की खेती की शुरुआत की थी। इससे प्रेरणा लेते हुए करीब दर्जन भर किसानों ने पानी की खेती शुरू कर दी। बांदा के बरईमानपुर गांव व आसपास के क्षेत्र में भी पान के बरेजे लगे। 70 वर्षीय मुन्नूलाल चौरसिया ने चार बरेजे तैयार किए। देखते ही देखते पान के व्यवसाय को पंख लगे और यहां का देसावरी पान लोगों की पसंद बन गया।इससे महोबा व बांदा के करीब दो हजार परिवार जुड़ गए। यहां के पान ने देश के अलावा पाकिस्तान,नेपाल व बांगलादेश में भी अपनी पहचान बनाई। शासन की उपेक्षा से इस व्यवसाय के वर्ष 2000 से बुरे दिन शुरू हो गए। दोनों जिलों में तमाम युवक बेरोजगार होकर दूसरे काम में लग गए। अब शासन ने पान विकास योजना के तहत इस व्यवसाय को पुनर्जीवित करने की तैयारी की है।
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ये है योजना
पान विकास योजना के तहत इस साल बांदा 30 व महोबा में 60 नए पान के बरेजे लगाए जाएंगे। प्रति बरेजा करीब 500 मीटर में बनेगा। निर्माण लागत कुल 50453 रुपये होगी। सरकार संबंधित किसान को 25226 रुपये अनुदान देगी।
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ये है पात्रता
-कृषक के पास खुद की जमीन व ¨सचाई की सुविधा हो।
-उद्यान विभाग में आनलाइन पंजीकरण होना चाहिए
-लाभार्थी को संबंधित जिले का निवासी होना चाहिए
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पान पैराज का लक्ष्य : 90 बैराज
प्रति बैराज लागत : 50453 रुपये
प्रति बैराज आय : एक लाख 50 हजार रुपये
प्रति बैराज छूट : 25226 रुपये
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-मंडल में पान की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसी के तहत किसानों को फीसदी छूट दी जा रही है। ज्यादा से ज्यादा किसान आनलाइन आवेदन कर योजना का लाभ उठाएं।
-भैरम प्रसाद, उप निदेशक, चित्रकूटधाम मंडल