प्रशिक्षण न होने से माटी मोल फल बेच रहे किसान
जागरण संवाददाता, बांदा : बागवानी के जरिए आर्थिक स्थिति मजबूत कर रहे किसानों के ख्वाब को ब
जागरण संवाददाता, बांदा : बागवानी के जरिए आर्थिक स्थिति मजबूत कर रहे किसानों के ख्वाब को बड़ा झटका लगा है। खाद्य प्रसंस्करण का प्रशिक्षण न होने से किसान फलों को माटी मोल पर बेचने को मजबूर हैं। सिर्फ कागजी औपचारिकताएं पूरी करने में समय खपाया जा रहा है।
सब्जी व फल प्रसंस्करण के माध्यम से जिले के हजारों युवाओं को रोजगार दिया जाता था। हालांकि उद्यान विभाग सरकार की मंशा पर खरा नहीं उतर पा रहा है। फल संरक्षण विभाग में ज्यादातर ताला पड़ा रहता है या फिर प्रशिक्षण की औपचारिकता पूरी कर सारा धन हजम कर लिया जाता है।
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प्रशिक्षण मद लक्ष्य प्रगति
दो दिवसीय गुणवत्ता नियंत्रण
एवं हाईजीन प्रशिक्षण 2 1
सामुदायिक कार्य (फल
एवं सब्जी प्रसंस्करण कार्य) 3000 किलो 301 किलो
15 दिवसीय प्रशिक्षण 350 110
तीन दिवसीय ग्रामीण प्रशिक्षण 2 0
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बोले किसान
बागवानी करने वाले निवादा (नरैनी) के किसान ब्रजेश द्विवेदी ने बताया कि जब कभी उद्यान विभाग के अधिकारी व कर्मचारी प्रसंस्करण केंद्र में बुला लेते हैं लेकिन सिखाया कुछ नहीं जाता। प्रशिक्षण के पैसे का बंदरबाट कर लिया जाता है। उधर, ¨तदवारी ब्लाक के तेरही गांव निवासी बागवानी किसान धर्मेंद्र ने बताया कि उसके आंवला का बाग है। खाद्य प्रसंस्करण की जानकारी न होने के कारण इसे सस्ते-मद्दे में बेचना पड़ता है। कोई फायदा नहीं होता। विभाग फर्जी किसानों के नाम चढ़ाकर प्रशिक्षण की औपचारिकता पूरी कर लेते हैं।
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फल व सब्जी प्रसंस्करण प्रशिक्षण के लिए शासन ने जो भी बजट दिया है उसे खर्च किया जा रहा है। अब इधर प्रशिक्षण कराए जा रहे हैं। जल्द ही नए बैच को तैयार किया जा रहा है।
-रामसरन, फल संरक्षण अधिकारी