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पर्माकल्चर खेती अपनाए बुंदेलखंड के किसान : एडीजी

की एक साथ खेती की जाती है। यह इकोलाजी व एग्रीकल्चर का संयुक्त रूप है। सामान्य वन एवं खेती जो प्राचीन एवं आधुनिक तरीकों पर आधारित है। खेती मे हम जैविक खाद का उपयोग कर सकते हैं। नो-टिल खेती (बिना जुताई की खेती) के बारे मे बताया। कहा कि कुछ साल बाद हम यू-टर्न ले और रेजेनरटिव फ़ार्मिंग को अपनाए!

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 Jul 2020 07:53 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2020 07:53 PM (IST)
पर्माकल्चर खेती अपनाए बुंदेलखंड के किसान : एडीजी
पर्माकल्चर खेती अपनाए बुंदेलखंड के किसान : एडीजी

जागरण संवाददाता बांदा : बीते कई सालों से बुंदेलखंड मे लोक कल्याणकारी कार्यों को कराते चले आ रहे सीनियर आईपीएस अफसर अब यहां पर्माकल्चर खेती की बुनियाद रखने की पुरजोर कवायद में जुटे हैं। उनका सपना है कि बुंदेली किसान इस मुफीद खेती को अपनाकर ज्यादा से ज्यादा आमदनी कर सके। साथ ही मृदा का स्वास्थ्य भी सुरक्षित रहे। उन्होंने किसानों को पर्माकल्चर खेती के विकास के लिए गोष्ठी कर जानकारी दी।

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रविवार को कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए किसान व अधिवक्ता राजेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि एडीजी राजाबाबू सिंह की प्रेरणा से यह दूसरी बैठक है। इसका उद्देश्य पर्माकल्चर खेती को लेकर लोगों मे जागरुकता लाना है। वीडियो कांफ्रेसिग के माध्यम से एडीजी राजाबाबू सिंह ने कहा कि यह एक स्थायी खेती है। इसमें कई किस्म के पेड़ पौधे (एग्रो फॉरेस्ट्री) एक ही खेत मे लगा सकते हैं। इसमें एक साथ फलदार, फूलदार, मसालेदार, ईमारती लकड़ियों वाले, सब्जियां व अनाज की एक साथ खेती की जाती है। यह इकोलाजी व एग्रीकल्चर का संयुक्त रूप है। सामान्य वन व खेती जो प्राचीन व आधुनिक तरीकों पर आधारित है। खेती मे हम जैविक खाद का उपयोग कर सकते हैं। नो-टिल खेती (बिना जुताई की खेती) के बारे मे बताया। कहा कि कुछ साल बाद हम यू-टर्न ले और रेजेनरटिव फार्मिंग को अपनाए! वर्षा जल संचयन, देशी गो संरक्षण के बारे मे भी बताया। गोष्ठी में प्रगतिशील किसान जयराम सिंह (बछेउरा) ने फालसा की खेती अपनाने पर जोर दिया। ड्रैगन फ़्रूट की खेती करके अन्ना प्रथा से निजात पाया जा सकता है। इस दौरान राजेश सिंह, कमलेश तिवारी, राजकुमार राज, डीके तिवारी, प्रदीप सिंह, शांति भूषण सिंह, यश शिवहरे, राघवेंद्र सिंह चौहान आदि मौजूद रहे।

क्या है पर्माकल्चर

पर्माकल्चर कृषि से संबंधित है। यह दो शब्दों पर्मा एवं कल्चर से मिलकर बना है। पर्मा से तात्पर्य स्थायी और कल्चर से तात्पर्य कृषि से है। यानी स्थायी कृषि है। पर्माकल्चर शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग डेविड हॉमग्रेन एवं बिल मॉलिसन नामक आस्ट्रेलियाई विद्वानों ने किया था। पर्माकल्चर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके अंतर्गत परंपरागत कृषि प्रणाली के साथ-साथ नवीनतम कृषि प्रणालियों का प्रयोग किया जाता है। इस पद्यति से छोटे किसान भी इस कृषि पद्धति से बेहतर ढ़ंग से लाभान्वित हो सकेंगे।


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