किसान ढाई लाख, बीमा दायरे में सिर्फ 54 हजार
केंद्र सरकार ने 2016-17 में फसल बीमा योजना लागू की थी। लेकिन अभी इसका फायदा ज्यादातर किसानों को नहीं मिल रहा है। जिले में करीब ढाई लाख छोटे बड़े किसान हैं। लेकिन इनमें महज 54 हजार किसानों को बीमा के दायरे में लाया गया है। इस वर्ष अच्छी फसल होने की उम्मीद थी। लेकिन ओला व बारिश ने किसानों को मायूस कर दिया। किसान फसल बीमा योजना की क्षेत्र में स्थिति ठीक नहीं है। इस योजना से महज 25 फीसद किसान ही लाभान्वित होंगे। जाग
जागरण संवाददाता, बांदा : केंद्र सरकार ने साल 2016-17 में फसल बीमा योजना लागू की थी लेकिन अभी इसका फायदा ज्यादातर किसानों को नहीं मिल रहा है। जिले में करीब ढाई लाख छोटे-बड़े किसान हैं लेकिन इनमें महज 54 हजार किसानों को बीमा के दायरे में लाया गया है। दरअसल जागरुकता के अभाव में गैर ऋणी किसान योजना में शामिल नहीं हो सके और अब बारिश-ओलावृष्टि से नुकसान के बाद भी उन्हें लाभ नहीं मिल पाएगा।
शासन ने जिले में फसल बीमा करने का जिम्मा एसबीआइ जनरल इंश्योरेंस कंपनी को दिया है। कंपनी ने जिले में रबी सीजन में 33,600 हेक्टेयर क्षेत्रफल का बीमा किया है जबकि रबी की फसल 2.90 लाख हेक्टेयर में की गई है। 54,139 किसानों ने 21कोड़ रुपये प्रीमियम जमा किया है। अब उन्हें बीमा क्लेम की दरकार है।
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यह है स्थिति
कुल किसान : 2,71,948
सीमांत : 1,64,721
लघु : 55,333
वृहद : 51,894
बटाईदार : 27,985
बीमा धारक : 54,956
इंश्योरेंस कंपनी : एसबीआइ जनरल इंश्योरेंस कंपनी
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जिन किसानों का ओलावृष्टि से नुकसान हुआ है, उन्हें जल्द बीमा क्लेम दिलाया जाएगा। किसान टोल फ्री नंबर 1800120909090 पर नुकसान की जानकारी दें। नुकसान का सर्वे कराया जा रहा है। 33 फीसद के अंदर भी क्षति है तो दैवीय आपदा के तहत मुआवजा दिया जाता है। जो किसान बीमा से आच्छादित नहीं है, उन्हें आपदा सेल के जरिए राहत कोष से मुआवजा दिया जाता है।
डॉ.प्रमोद कुमार,जिला कृषि अधिकारी
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किसानों की पीड़ा
20 बीघा में चना, मसूर व सरसों की फसल बोई है। किसान क्रेडिट कार्ड धारक होने के कारण बैंक से उनके फसल बीमा का प्रीमियम कट गया है। अभी तक कोई सर्वे करने नहीं आया। सिर्फ मुख्यालय में बैठकर कह दिया कि सिर्फ 8 फीसद नुकसान है।
जगन्नाथ, ग्राम उतरवा डेढ़ बीघा में अरहर, सात बीघा में मसूर व 6 बीघा का गेहूं ओलावृष्टि से चौपट हो गया है। आर्यावर्त बैंक व कृषि विभाग में सभी कागज जमा कर आए, लेकिन फसल बीमा नहीं हो सका। अब तो उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा है।
शिवविशाल, बिसंडा