सटी स्कैन प्रोजेक्ट अधूरा, जांच को भटक रहे मरीज
जागरण संवाददाता, बांदा : शासन की योजनाओं की शुरुआत तो अच्छी होती है पर उसको अमलीजामा पह
जागरण संवाददाता, बांदा : शासन की योजनाओं की शुरुआत तो अच्छी होती है पर उसको अमलीजामा पहनाने में जिम्मेदार ही रोड़ा बन जाते हैं। इसका हालिया उदाहरण एक करोड़ की सिटी स्कैन मशीन का प्रोजेक्ट अधूरा होना है। जांच के लिए मरीज भटकते रहते हैं लेकिन जिम्मेदार ध्यान ही नहीं देते।
शासन स्तर से मई माह में मरीजों की जांच के लिए महंगी सिटी स्कैन मशीन जिला अस्पताल में भेजी गई थी ताकि मरीजों को भटकना न पड़े। मशीन आने के बाद अस्पताल की नई बि¨ल्डग में बाकायदा उसे शिफ्ट किया गया था। लेकिन जांच के लिए अलग से स्टाफ न होने से तीन माह बाद भी मशीन शुरू नहीं हो सकी। सिटी स्कैन कराने के लिए मरीज पहुंचते हैं तो उन्हें निजी सेंटरों का ही सहयोग लेना पड़ता है। इसके लिए उनसे 22 सौ रुपये तक वसूले जाते हैं। सिटी स्कैन जांच शुरू कराने के लिए स्टाफ की मांग की गई है। स्टाफ की तैनाती होते ही जांच शुरू कर दी जाएगी।
- डा. विनीत सचान प्रभारी सीएमएस जिला अस्पताल यह चाहिए स्टाफ
- एक एक्सरे टेक्निशयन
- एक रेडियो लाजिस्ट
- कम से कम तीन अन्य सहयोगी
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जांच का नहीं मिलता सही लाभ
बांदा : सिटी स्कैन बाहर से कराने के बाद भी मरीजों को परेशान होना पड़ता है। अस्पताल में किसी न्यूरो फिजिशियन व सर्जन के न होने से सिर संबंधी जांच का अन्य चिकित्सक बारीकी से आकलन नहीं कर पाते हैं। मरीज के रेफर होने के बाद कानपुर व लखनऊ के चिकित्सक अपने स्तर से फिर नई जांच कराते हैं। इससे मरीजों को आर्थिक रूप से दोहरी मार झेलनी पड़ती है।