हर पांच माह में ठेकेदार बदल देते हैं अपनी टीम
जागरण संवाददाता, बांदा: जुर्म की पौध कितनी जल्दी फैलती है, इसका उदाहरण ओवरलोड व फर्जी र
जागरण संवाददाता, बांदा: जुर्म की पौध कितनी जल्दी फैलती है, इसका उदाहरण ओवरलोड व फर्जी रवन्नों वाले ट्रक निकलवाने वाले ठेकेदारों की बढ़ती संख्या है। बड़े ठेकेदार अपनी सुरागरसी टीम को नर पांच माह में बदलते रहते हैं। जिससे हटाये गए सदस्य फिर खुद ही छोटी-मोटी ठेकेदारी शुरू कर देते हैं। इसके लिए वह बाकायदा बीते समय में प्रशिक्षित भी हो चुके होते हैं। पूरे जनपद को पार कराने वाले बड़े ठेकेदारों की संख्या तो आधा दर्जन के ही करीब है। लेकिन थाने व क्षेत्रवार इनकी संख्या दर्जनों में है।
जनपद भर का ठेका लेने वाले लोगों की अपनी-अपनी टीमें हैं। जिनमें एक से दो दर्जन तक सदस्य हैं। इन टीमों के सदस्यों को हर प्वाइंट पर जिम्मेदारी दी जाती है। यह ठेकेदार अपनी इस टीम को कुछ महीनों बाद जहां बदल देते हैं। वहीं कई खुद ही छोड़कर या हटाए जाने पर अपनी ठेकेदारी शुरू कर देते हैं। हुनर में माहिर हो जाने के चलते यह ट्रकों को पार कराने का ठेका लेने लगते हैं। वह बात दीगर है कि बड़े ठेकेदार जहां दर्जनों ट्रकों को पार कराने का काम लिए होते हैं। वहीं यह छुटभैये कुछ ही गाड़ियों तक ही सीमित होते हैं। हां अपना दायरा बढ़ाने के लिए प्रयासरत जरूर रहते हैं। अपनी क्षेत्र लिमिट, अपनी फीस
जनपद में दर्जनों छोटे ठेकेदार सक्रिय हैं। कुछ थानावार ट्रक निकलवाने का ठेका लेते हैं तो कुछ कई-कई थाना क्षेत्र से निकलवाने में माहिर हो चुके हैं। वहीं कुछ रूट के हिसाब से अपना सौदा करते हैं। जबकि बड़े ठेकेदार एमपी सीमा से लेकर जनपद सीमा से बाहर निकालने का ठेका लेते हैं। कई बहुरुपिये प्रभाव में लेने का करते हैं प्रयास
बड़े ठेकेदार अधिकारियों व कर्मचारियों से से¨टग रखते हैं। इसी तरह थाना पुलिस से भी उनका समझौता रहता है। वहीं छुटभैये थानों के सिपाही आदि से अपनी से¨टग रखते हैं। कई तो ऐसे छुटभैये ऐसे भी हैं जो कई रूप धारण कर लेते हैं। छोटे अधिकारियों व कर्मचारियों के सामने पत्रकार होने या अधिकारी का रिश्तेदार होने की बात कर अपना काम बनाते हैं। डीएम दिव्य प्रकाश गिरि का कहना है कि प्रशासन नई रणनीति तैयार कर रहा है। जल्द ही इस पर प्रभावी तौर पर अंकुश लगेगा।