बूंदाबांदी ने बढ़ाई ठंड और किसानों की चिंता
धार हुआ हो लेकिन ठंड का सितम कम नहीं हो रहा है। गुरुवार को सुबह हुई बूंदाबादी के बाद दिनभर आसमान में बादलों की आवाजाही लगी है। वहीं पूरे दिन सूर्यदेव के दर्शन नहीं हुए। बर्फीली हवाएं गलन का एहसास कराती रहीं। सुबह व शाम कोहरे की धुंध के कारण घरों से निकलना मुश्किल हो गया है। बुधवार की भोर में ही मौसम में का रूख बदला नजर आया।
जागरण संवाददाता, बांदा : राहत दे रही ठंड ने एक बार फिर करवट बदली। बुधवार से ही खराब हुए मौसम का असर गुरुवार की सुबह देखने को मिला। जब आसमान में छाए बादलों ने बरसना शुरू कर दिया। बादलों की आवाजाही व शीतलहर से लोग ठिठुरते रहे।
गुरुवार की भोर पहले घना कोहरा छाया रहा। करीब आठ बजे बूंदाबादी शुरू हो गई। कुछ देर बाद बारिश तो रूकी, लेकिन आसमान में दिन भर बादल छाए रहे। सुबह दस बजे के करीब आसमान फिर साफ हुआ तो लोगों को धूप खिलने की उम्मीद जगी, लेकिन थोड़ी ही देर बाद फिर मौसम में बदलाव हुआ और बदली छा गई। इसके बाद दिनभर धुंध व बर्फीली हवाओं का सामना करना पड़ा। रात से लेकर सुबह तक कोहरे के बीच घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। वहीं अलाव के आसपास जनजीवन सिमट गया। विद्यालयों में अवकाश न होने के कारण छात्र-छात्राओं को ठिठुरन व जबरदस्त ठंड का सामना करना पड़ा। मौसम में तब्दीली के कारण रोडवेज व प्राइवेट बसें खाली नजर आईं। यही हाल इस मार्ग से गुजरने वाली ट्रेनों का भी रहा। केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक गुरुवार को अधिकतम तापमान 21 व न्यूनतम 10 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। 0.6 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। दिन में आर्द्धता 85 फीसद रही। 9 किलोमीटर गति से गलन भरी पछुवा हवाएं चलीं। मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि 18 जनवरी तक बादल व बूंदाबादी व कहीं तेज बारिश का क्रम चलेगा। इसके साथ तेज हवाएं चलने की आशंका है।
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बारिश से फसलों का नुकसान, बर्बादी की कगार पर किसान
संवाद सहयोगी, अतर्रा : मौसम में तब्दीली ने खरीब की फसल चौपट करने के बाद रवि की फसल में जबरदस्त नुकसान पहुंचाया है। थोड़ा बहुत गेहूं को छोड़ दिया जाए दलहन, तिलहन बर्बादी की कगार में खड़ा है। यदि एक पखवारे तक ऐसा ही मौसम बना रहा, तो इन फसलों के फूल झड़ जाने से फल विहीन पौधे ही नजर आएंगे। 11 दिसंबर से पहले बारिश, फिर ओले और अब एक सप्ताह से कोहरा व धुंध बनाये हुए है। जिसके चलते पहले धान की मड़ाई व गेंहू की बुआई पिछड़ी। इस बीच समय पाकर जिस किसान ने गेहूं बुआई कर लिया। बारिश होने के चलते उसके भी बीज खेत में ही सड़ गए। वही समय न मिलने से खलिहान में रखी धान फसल भी भीगने से बर्बादी की कगार पर पहुंच गई। थोड़ा बहुत उन किसानों को जरूर लाभ हुआ जिन्होंने नवंबर माह के अंतिम सप्ताह तक गेंहू की बुआई कर लिया था। एक फसली दलहन-तिलहन पहले पानी पाते ही खूब फूल निकले, लेकिन अतिवृष्टि के साथ ओला गिरने से उनको भी नुकसान शुरू हो गया है। मसूर, सरसो, अरहर, मटर, चना आदि दलहन-तिलहन फसलों में लगने वाला फूल मुरझा कर गिरना शुरू हो गया है।
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ऐसे मौसम से सभी फसलों को नुकसान है। जहां पहले गेहूं की बुआई हो गई है। वहां इस मौसम से कीट पतंगों से बचाव के लिए प्राप्पी ओनाजोन का छिड़काव करने से लाभ होगा। साथ ही कोहरे व धुंध से अन्य फसलों के नुकसान व बचाव के लिए उपाय करने होंगे।
-लेखराज निरंजन, अधीक्षक, राजकीय कृषि फार्म, अतर्रा
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ये हैं फसलों में रोग के लक्षण व बचाव :
फसल : अरहर
रोग : फली छेदक
लक्षण : इन कीड़ों के शिशु हरी फलियों में छेद करके दानों को खा डालते हैं। कीटग्रस्त फलियों में छोटे-छोटे छिद्र दिखलाई पड़ते हैं।
बचाव : अरहर में अनेक तरह के फली छेदक का आक्रमण होता है। इनसे बचाव के लिए दो या तीन बार कीटनाशी दवा का छिड़काव करना चाहिए। पहला छिड़काव इंडो सल्फान तरल (2.0 मि.ली./लीटर पानी) का उस समय किया जाता है, जब फसलों में 50 प्रतिशत फूल आते हैं। दूसरा छिड़काव 15 दिनों के अंतराल पर मोनोक्रोटो़फॉस तरल (1 मि.ली./ली.पानी) से किया जाना चाहिए।
2. फसलें : सोयाबीन मूंगफली
रोग : भुआ पिल्लू
लक्षण: रोयेंदार पिल्लू फसल के पत्तियों को बुरी तरह खा जाते हैं। अत: पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया बाधित हो जाती है। उपज का नुकसान होता है।
बचाव के उपाय : प्रारंभिक अवस्था में ग्रसित पौधों को इकट्ठा कर मिटटी में दबा दें। भूआ पिल्लू को प्रारंभिक अवस्था में डायक्लोरभास (मि.ली./10 लीटर पानी) के छिड़काव से नियंत्रित किया जा सकता है।
3- फसल : चना
रोग : फलीछेदक
लक्षण : हरे-हरे पिल्लू (शिशु कीट) चना के हरी-हरी फलियों में छेद करके उनमें पड़े हुए दानों को खा डालते हैं।
बचाव के उपाय : फली छेदक के नियंत्रण के लिए इंडोसल्फान तरल (1 मि.ली./लीटर पानी) या क्वीनाल़फॉस तरल (1.2 मि.ली./लीटर पानी) का छिड़काव करें।