अभी न चेते तो पानी के लिए मचेगा हाहाकार
जागरण संवाददाता बांदा गर्मी ने दस्तक दे दी है लेकिन जल संस्थान अभी गहरी नींद में सोया हुआ है।
जागरण संवाददाता, बांदा : गर्मी ने दस्तक दे दी है, लेकिन जल संस्थान अभी गहरी नींद में सोया हुआ है। ऐसा तब है तब मौजूदा समय में शहर को जरूरत से सात एमएलडी पानी कम मिल रहा है। यह स्थिति आने वाले दिनों में गंभीर पेयजल संकट होने की ओर इशारा कर रही है। जल संस्थान जहां धन न होने का रोना रो रहा है, वहीं उसके पास प्यास बुझाने के लिए कोई ठोस कार्ययोजना ही नहीं है।
शहर के 1.74 लाख बाशिंदों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए जल संस्थान कई स्त्रोतों पर निर्भर है। शहर के लिए 26.3 एमएलडी पानी की आवश्यकता है। इसके सापेक्ष आपूर्ति सिर्फ 19.5 एमएलडी हो पा रही है। सबसे अधिक 10 एमएलडी पानी की आपूर्ति केन नदी के जरिये होती है। लेकिन, केन में लगातार हो रहे अवैध खनन के कारण इसकी जलधारा अभी से टूटने लगी है। अभी से नदी में पानी कम होने के कारण आठ एमएलडी ही आपूर्ति मिल रही है। इसके अलावा नलकूपों से छह एमएलडी, कुओं से दो से तीन एमएलडी की आपूर्ति होती है। शहर में 996 हैंडपंप लगे हैं। इनमें एक चौथाई हैंडपंपों का पानी अभी से उतरने लगा है। गर्मी के मौसम में शहर में पेयजल संकट कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस वर्ष यह समस्या और भी गंभीर होने के आसार दिख रहे हैं। शहर में 17 हजार कनेक्शन धारक हैं, जिन्हें बमुश्किल आधा घंटे से एक घंटे की सप्लाई ही मिल पाती है।
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इन मोहल्लों में अभी से पेयजल संकट
इंदिरा नगर, आवास विकास, सर्वोदय नगर, गायत्री नगर, बिजली खेड़ा व कालूकुंआ आदि।
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अधर में लटकी बांदा पेयजल योजना
जून 2018 में बांदा पेयजल योजना के लिए एक अरब 54 करोड़ की धनराशि शासन से प्राप्त हुई थी। चिल्ला से बांदा तक इस धनराशि से 55 किमी. पाइप लाइन डालने के साथ पलरा में 20 करोड़ की लागत से ट्रीटमेंट प्लांट भी बनाया जाना है। इस योजना से शहर को प्रतिदिन 55 मिलियन लीटर पानी मिलना है। मगर, जल निगम अब तक टेंडर ही नहीं करा पाया।
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जलस्त्रोतों की स्थिति
स्त्रोत आपूर्ति वर्तमान में सप्लाई
केन 10 एमएलडी 8 एमएलडी
22 नलकूप 6 एमएलडी 4 एमएलडी
44 कुएं 3 एमएलडी 2 एमएलडी
996 हैंडपंप 0.5 एमएलडी 0.3 एमएलडी
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बांदा पेयजल योजना से जुड़े कार्यो के लिए टेंडर नगरीय निकाय निदेशालय लखनऊ को कराना है। वहीं, ट्यूबवेल में पड़े पंप और मोटर पुराने हो चुके हैं। इन्हें बदला जाएगा ताकि आपूर्ति बढ़ाई जा सके।
- अंचल गुप्ता, अधिशासी अभियंता जल निगम