नटबली मेले में पहले दिन उमड़ी भक्तों की भीड़
जागरण संवाददाता बांदा भूरागढ़ किले में मंगलवार को दो दिवसीय नटबली मेले की शुरुआत हुई। पहले दिन मेले में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। नटबली मंदिर में मत्था टेककर रेवड़ी का प्रसाद चढ़ाया। महिलाओं व युवाओं ने खुशियों का कामना की। मेले में सजी दुकानों पर ग्रामीणों ने खूब खरीददारी की। उधर खिचड़ी भोज में प्रशासन की ओर से पेड़ प्रसाद अभियान के तहत पौधे वितरित किए गए।
जागरण संवाददाता, बांदा : भूरागढ़ किले में मंगलवार को दो दिवसीय नटबली मेले की शुरुआत हुई। पहले दिन मेले में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। नटबली मंदिर में मत्था टेककर रेवड़ी का प्रसाद चढ़ाया। महिलाओं व युवाओं ने खुशियों का कामना की। मेले में सजी दुकानों पर ग्रामीणों ने खूब खरीदारी की। खिचड़ी भोज में प्रशासन की ओर से पेड़ प्रसाद अभियान के तहत पौधे वितरित किए गए।
केन नदी के किनारे भूरागढ़ दुर्ग में मकर संक्रांति के दिन से 5 दिन के लिए आशिकों का मेला लगता है। प्रेम को पाने की चाहत में अपने प्राणों की बलि देने वाले नट महाबली के प्रेम मंदिर में खासकर मकर संक्राति के दिन हजारों जोड़े विधिवत पूजा-अर्चना कर मन्नत मानते हैं। हर साल इस किले के नीचे बने नटबाबा के मंदिर में मेला भी लगता है। दूर-दराज से श्रद्धालु आते हैं। मंगलवार को यहां मेले के पहले दिन भक्तों की अपार भीड़ उमड़ी। मेले में श्रीमद् भागवत कथा भी चल रही है। दूर-दराज से आए महिला, युवा व बुजुर्ग सभी भक्तों ने नटबली बाबा मंदिर में मत्था टेका। रेवड़ी चढ़ाकर मन्नतें मांगी। इस बीच भीड़ को देखते हुए मेले में पुलिस प्रशासन द्वारा कड़ी सुरक्षा की गई थी। सीसीटीवी कैमरे लगवाए गए हैं। वहीं मेले में शामिल युवाओं ने केन नदी में सेल्फी ली और साथियों के साथ मौज-मस्ती की। ग्रामीण महिलाओं ने मेले में खूब खरीददारी की। इस दौरान सीडीओ हरिश्चंद्र वर्मा व प्रभागीय वनाधिकारी, संजय अग्रवाल, जिला उद्यान अधिकारी परवेज खां, वन विभाग के जुनैद अहमद, रेंज अधिकारी श्याम लाल आदि ने पेड़ प्रसाद अभियान के तहत भक्तों को पौधे वितरित किए। मेले में व्यापारी नेता मनोज जैन, राजकुमार राज, अमित सेठ भोलू, सीडीओ स्टेनो अनूप रावत आदि का मेले में सहयोग रहा।
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मेले में यह है मान्यता
मंदिर के पुजारी कामता बताते हैं कि 600 साल पहले नट जाति के बीरन बाबा बचपन से ही तपस्वी थे और राजा की बेटी के प्रेम में सूत पर चलते हुए नदी पार की थी। लेकिन राजा नोने अर्जुन सिंह ने धोखे से रस्सी काट दी। नटबाबा चट्टान में गिर पड़े और शरीर त्याग दिया था। लेकिन इस स्थान में वह अमर होकर वास करते हैं। ऐसी मान्यता उन्हीं के श्राप से आज भी ये किला वीरान पड़ा है। बाबा हर श्रद्धालु की मनोकामना पूरी करते हैं।