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सफेदपोशों की शह पर होता है 'लाल सोने' का कारोबार

जागरण संवाददाता बांदा जनपद में लाल सोना की लूट का खेल सफेदपोशों की शह पर होता है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Sep 2020 12:02 AM (IST)Updated: Tue, 22 Sep 2020 05:04 AM (IST)
सफेदपोशों की शह पर होता है 'लाल सोने' का कारोबार
सफेदपोशों की शह पर होता है 'लाल सोने' का कारोबार

जागरण संवाददाता, बांदा : जनपद में 'लाल सोना' की लूट का खेल सफेदपोशों की शह पर होता है। मशीनें गरजती हैं और सफेदपोशों के इशारे पर पुलिस खनन कराती है। ग्रामीणों व समाजसेवियों के ज्यादा विरोध पर कुछ दिनों के लिए यह कारोबार रुक जाता है और मामला ठंडा होते ही फिर से जोर पकड़ता है। किसी अधिकारी ने सख्ती की तो उसे ट्रांसफर की सजा भुगतनी पड़ती है।

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जिले में केन, बागै, रंज और यमुना नदी में मौरंग की करीब आधा सैकड़ा खदानें हैं। इनमें शहर से जुड़ी सोना, गोड़ी बाबा और दुरेड़ी खदान की सबसे ज्यादा बोली लगती है। इसे पाने के लिए ग्वालियर, हैदराबाद, कानपुर, दिल्ली तक के कारोबारी जोर लगाते हैं। खदान आवंटित हो जाने के बाद वह निर्धारित सीमा को छोड़कर करोड़ों रुपये की मौरंग निकालकर जेबें भरते हैं। यहां तक कि यह कहा जाए कि यहां बालू कारोबार से होकर ही राजनीति का बुलंद दरवाजा खुलता है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। जिसका रुतबा, बालू खनन में उन्हीं लोगों से जुड़े माफिया का बोलबाल होता है। सपा शासन काल में तो यहां बाकायदा सिडीकेट लगाया जाता था। अब भी खनन उसी राह पर है, पर थोड़ा तरीका बदला हुआ है। लाल सोना की लूट में सफेदपोश का परोक्ष व अपरोक्ष रूप से समर्थन होता है। थानाध्यक्षों की संबंधित थानों में तैनाती भी इन्हीं के इशारे पर होती है।

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एनजीटी के आदेशों की उड़ती धज्जियां

बदौसा के उदयपुर निवासी आरटीआइ एक्टीविष्ट ब्रजमोहन यादव नदियों का सीना चीर रहे मौरंग माफिया के खिलाफ दो दशक से संघर्ष कर रहे हैं। एनजीटी में अवैध खनन के खिलाफ याचिका दायर की थी। एनजीटी इस पर सुनवाई अभी भी चल ही है। एनजीटी ने चार वर्ष पूर्व सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता आग्नेय सेल को लोकल कमिश्नर तैनात करते हुए यहां अवैध खनन की जांच के लिए भेजा था। उन्होंने दो दिनों तक बागै और केन नदियों में अवैध खनन होते खुद देखा था। अपनी रिपोर्ट एनजीटी बेंच में पेश की थी। 13 लाख घन फीट बालू का अवैध खनन पाया गया था। इस पर शासन को अवैध खनन रोकने के लिए सख्त निर्देश दिए थे, लेकिन इन आदेशों की भी यहां धज्जियां उड़ रही हैं।

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दो वर्ष पूर्व हुई थी पिटाई :

जिले में माननीयों की मौरंग कारोबार में हस्तक्षेप की बानगी तत्कालीन खनिज अधिकारी की पिटाई को लेकर देखी जा सकती है। 10 अक्टूबर 2018 को तत्कालीन खनिज अधिकारी की सर्किट हाउस में एक विधायक के गुर्गों ने पिटाई की थी। खनिज अधिकारी ने आरोप लगाया था कि प्रति मौरंग खदान से लाखों रुपये रंगदारी मांगी जा रही थी।


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