धान उत्पादन में बुंदेलखंड 'लखपति', बढ़ा रकबा
जान्हवी द्विवेदी बांदा सूखे और जल संकट के लिए बदनाम बुंदेलखंड अब पानीदार होने के साथ धान
जान्हवी द्विवेदी, बांदा
सूखे और जल संकट के लिए बदनाम बुंदेलखंड अब पानीदार होने के साथ धान उत्पादन में भी 'लखपति' बन गया है। यहां एक लाख से अधिक किसान धान की खेती से मालामाल हो रहे हैं। ऐसा केंद्र और प्रदेश सरकार की लगातार मानीटरिग व पानी मिलने से संभव हुआ है। इस साल पूर्वाचल में पैदा होने वाली शियाट्स-1 और पीआर-121 धान की प्रजातियां किसानों की खास पसंद बन गई हैं। चारों जिलों बांदा, हमीरपुर, चित्रकूट और महोबा में पहली बार ये प्रजातियां रोपी जाएंगी, जो अब तक उगाई जा रही सोनम व पंत प्रजाति से ज्यादा फायदेमंद मानी जा रही हैं।
खरीफ की फसल के लिए करीब एक लाख 38 हजार हेक्टेअर रकबा में सर्वाधिक 53 हजार 561 हेक्टेअर क्षेत्रफल में धान की रोपाई होगी। पिछले साल की तुलना में इस बार 523 हेक्टेअर रकबा बढ़ा है। कृषि विभाग ने दोनों नई प्रजातियां मंगवाई हैं। इनकी मांग बांदा के अतर्रा, नरैनी, खुरहंड, महुआ व बिसंडा समेत सभी जिलों में है। कृषि विभाग का दावा है कि पीआर-121 व शियाट्स-1 पैदावार और स्वाद में बेहतर हैं।
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नई प्रजातियों की खासियत
शियाट्स-1 प्रजाति सोनम और पंत-24 का विकल्प पीआर-121 है। नई प्रजातियों के धान का चावल खुशबू और स्वाद के मामले में अच्छा होता है। बाजार में अधिक मांग है। शियाट्स प्रजाति 125 दिनों में पककर तैयार होती है। इसकी उत्पादकता 40 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेअर है, जबकि सोनम 145 दिन में पकता है और पैदावार भी 35 से 40 क्विंटल प्रति हेक्टेअर ही है। इसी तरह पीआर-121 की उत्पादकता 60 से 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जबकि पंत-24 50 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेअर ही होता है। हालांकि, दोनों के पकने का समय लगभग बराबर है।
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यह प्रजातियां भी रोपते
बुंदेलखंड में किसान परसन बादशाह, महा चिन्नावर, ऊषा बासमती 1121, ऊषा बासमती 1509, एनडीआर-2064 भी रोपते हैं।
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धान के बीज में 80 फीसद की छूट
जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि धान के बीज में सरकार 80 फीसद अनुदान दे रही है। मोटे प्रजाति के धान के बीज की कीमत 3580, पतले धान की 3610 व बासमती 1509 की 4480 रुपये प्रति क्विंटल है।
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शियाट्स-1 व पीआर-121 बुंदेलखंड के लिए नई प्रजातियां हैं। अभी तक पूर्वाचल में इनकी पैदावार ज्यादा है। इनका उत्पादन अच्छा होने के साथ यह सोनम व पीआर पंत 24 का विकल्प हैं। किसानों को 15 से 20 फीसद तक का फायदा होगा।
- डा. प्रमोद कुमार, जिला कृषि अधिकारी।