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टूट रहीं सांसें, वार्डो की शोभा बढ़ा रहे वेंटिलेटर

केस एक - इंदिरा नगर का कृष्णा बेहोश हुआ तो स्वजन उसे जिला अस्पताल लेकर आए। उसे एमरजेंसी

By JagranEdited By: Published: Sun, 19 Sep 2021 04:04 PM (IST)Updated: Sun, 19 Sep 2021 04:04 PM (IST)
टूट रहीं सांसें, वार्डो की शोभा बढ़ा रहे वेंटिलेटर
टूट रहीं सांसें, वार्डो की शोभा बढ़ा रहे वेंटिलेटर

केस एक - इंदिरा नगर का कृष्णा बेहोश हुआ तो स्वजन उसे जिला अस्पताल लेकर आए। उसे एमरजेंसी में भर्ती किया गया। चिकित्सक ने मरीज को बचाने का भरपूर प्रयास किया। लेकिन वेंटिलेटर की व्यवस्था न होने से मेडिकल कालेज ले जाते समय रास्ते में उसकी मौत हो गई। केस दो - छतरपुर मध्य प्रदेश के ग्राम पुखरी के युवक राजू को सप्ताह भर पहले गंभीर हालत में जिला अस्पताल लेकर आए थे। उन्हें भी वेंटिलेटर में उपचार दिए जाने की आवश्यकता थी। लेकिन अस्पताल में व्यवस्था सही न होने से उसे चिकित्सकों ने रेफर कर दिया। गनीमत रही कि स्वजन उसे कानपुर ले गए। जहां उसकी किसी तरह जान बच गई है।

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जागरण संवाददाता, बांदा : कोरोना की पहली व दूसरी लहर में शासन की ओर से सरकारी अस्पतालों को उपकरणों से लैस किया गया है। जिसके चलते जनपद के जिला अस्पताल व मेडिकल कालेज में कुल 136 वेंटिलेटर उपलब्ध हैं। इसमें एक वेंटिलेटर की लागत करीब 16 से 20 लाख है। इनमें मेडिकल कालेज के 108 वेंटिलेटर जहां संचालित हो रहे हैं। वहीं जिला अस्पताल में रखे 25 वेंटिलेटर बंद वार्ड के अंदर शोपीस बने हैं। उनको संचालित करने के लिए समय-समय पर चिकित्सकों व कर्मचारियों दिया जा रहा प्रशिक्षण भी बेमतलब साबित हो रहा है। प्रशिक्षित टेक्निशियन की तैनाती न होने से गंभीर मरीजों की उखड़ती सांसों को इन वेंटिलेटर का लाभ नहीं मिल रहा है। वेंटिलेटर सही से संचालित करने में कर्मचारियों के हाथ-पैर फूलते हैं। जिसके चलते मजबूरी में चिकित्सकों को मरीजों को नरैनी रोड स्थित मेडिकल कालेज या कानपुर रेफर करना पड़ता है। तीमारदार जब तक मरीज को साधन का इंतजाम कर दूसरे अस्पतालों में ले जाते हैं तब तक जान का बड़ा खतरा बना रहता है। कुछ मरीज दूसरे अस्पतालों तक पहुंचने के पहले ही दम तोड़ देते हैं। अभी तक अलग से पूरी तरह प्रशिक्षित वेंटिलेटर संचालित करने वालों की अस्पताल में तैनाती नहीं है। जिम्मेदार अधिकारी सबकुछ जान कर मौन साधे हैं। उनको मरीजों की जान की फ्रिक नहीं है।

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- अस्पताल के एक चिकित्सक व एक टेक्नीशियन को बाहर भेजकर प्रशिक्षण दिलाया गया है। इसके अलावा अक्सर आन लाइन प्रशिक्षण भी चलता रहता है। जल्द ही पूरी तरह प्रशिक्षित टेक्निशियन की व्यवस्था की जाएगी।

डा. उदयभान सिंह सीएमएस जिला अस्पताल


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