बांदा के तेहरे हत्याकांड में दोनों भाइयों में था प्रेम, बच्चे न निभा सके रिश्ता
जागरण संवाददाता बांदा जब तक जिंदा रहे तो दोनों भाइयों में बहुत प्रेम था। दुनिया से जाने के
जागरण संवाददाता, बांदा : जब तक जिंदा रहे तो दोनों भाइयों में बहुत प्रेम था। दुनिया से जाने के बाद उनके बच्चे खून का रिश्ता सहेज नहीं सके। दिलों के बीच पनपी नफरत ने खून की नदी बहा दी। पोस्टमार्टम हाउस में जुटे करीबी रिश्तेदारों के बीच सिर्फ दोनों परिवारों की ही चर्चा रही। हर कोई दिवंगत अभिजीत के पिता रामप्रसाद और आरोपितों के पिता भगवानदीन के बीच आपसी प्रेम को लेकर बातें करता दिखा।
पोस्टमार्टम हाउस में जहां तीन मौतों को लेकर चीख-पुकार मची थी, वहीं घटना के बाद से चमरौडी मोहल्ले में सन्नाटा पसरा रहा। घटना के दूसरे दिन भी लोग कुछ बोलने को तैयार नहीं थे। मूलरूप से पपरेंदा निवासी रामप्रसाद और भगवानदीन शहर आकर बसे तो दोनों के घर अगल-बगल ही रहे। अभिजीत के मामा कानपुर के गोपाल नगर निवासी निर्मल ने बताया कि दोनों परिवारों के बीच आपसी विवाद आम हो चुका था। जीजा (रामप्रसाद) बहुत सरल और सीधे स्वभाव के थे। जब कभी कोई पारिवारिक विवाद होता तो भाई के बच्चों का ही हमेशा पक्ष लेते थे। हमारी बहन की भी बात नहीं सुनते थे। निर्मल के बड़े भाई भरुआ सुमेरपुर निवासी प्रवीण ने बताया कि पारिवारिक विवाद का यह रंग देखना पड़ेगा, सपने में भी नहीं सोचा था।
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बड़ी नौकरी करना चाहता था अभिजीत
निर्मल ने बताया कि अभिजीत पढ़ाई में बहुत होशियार था। हाईस्कूल में जहां 95 फीसद अंक आए थे, वहीं इंटर में 93 और बीएससी 72 फीसद अंक के साथ उत्तीर्ण किया था। जब भी उससे बात होती थी तो कहता था कि परिवार के हालात देखकर वह यह नौकरी कर रहा है। उसे इससे बड़ी नौकरी करनी है, जिसके लिए वह तैयारी भी करता था। उन्होंने बताया कि सात साल पहले बहनोई रामप्रसाद की मौत के बाद दोनों भाइयों ने घर का ख्याल रखा और तरक्की करते रहे। यही तरक्की और संपन्नता तीन लोगों की मौत की वजह बन गई। ईष्र्या के चलते ही इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया है। अब हत्यारों को कड़ी से कड़ी सजा मिले, तभी सुकून मिलेगा।
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2013 बैच का था अभिजीत, 2016 में हुई थी तैनाती
ममेरे भाई मनीष ने बताया कि अभिजीत का पुलिस महकमे में 2013 में चयन हुआ था और 2016 में उसकी तैनाती हुई थी। वर्तमान में वह प्रयागराज में था। बड़ा भाई सौरभ 2018 बैच का है और जुलाई से उसकी सीतापुर में ट्रेनिग शुरू हुई।
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चुप्पी साधे रहे आसपास के लोग
घटना के दूसरे दिन भी मोहल्ले के लोग चुप्पी साधे रहे। लोगों का एक ही जवाब मिलता रहा कि वह खाना खाकर सो गए थे, जब पुलिस पहुंची और शोर हुआ तब दरवाजा खोला था।