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उपमुख्यमंत्री तक पहुंचा बांदा बाईपास निर्माण का घोटाला

किए गए घोटाले का मामला शासन तक पहुंच गया है। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव मौर्या ने बाईपास निर्माण की फाइल तलब की है। वहीं जिले के प्रभारी मंत्री लाखन सिंह राजपूत ने भी उक्त प्रकरण में मुख्य अभियंता से पूछताछ की है। मामला तूल पकड़ता देख जिम्मेदार अफसर भी अपनी बचत का रास्ता खोजने लगे

By JagranEdited By: Published: Thu, 05 Mar 2020 10:29 PM (IST)Updated: Fri, 06 Mar 2020 06:00 AM (IST)
उपमुख्यमंत्री तक पहुंचा बांदा बाईपास निर्माण का घोटाला
उपमुख्यमंत्री तक पहुंचा बांदा बाईपास निर्माण का घोटाला

जागरण संवाददाता, बांदा : बांदा बाईपास दूसरे फेज के निर्माण कार्य में घोटाले का मामला शासन तक पहुंच गया है। उपमुख्यमंत्री केशव मौर्या ने निर्माण की फाइल तलब की है। जिले के प्रभारी मंत्री लाखन सिंह राजपूत ने भी मुख्य अभियंता से पूछताछ की है। मामला तूल पकड़ता देख जिम्मेदार अफसर बचाव का रास्ता खोज रहे हैं।

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बाईपास निर्माण में बांदा-कालिजर नरैनी मार्ग आठ किलोमीटर के कार्य की जिम्मेदारी लोक निर्माण खंड एक को मिली थी। 25 फरवरी को चित्रकूटधाम मंडल के मुख्य अभियंता ज्ञान प्रकाश पांडेय ने जब स्थलीय निरीक्षण किया तो सरकारी धन के बंदरबांट का बड़ा मामला दिखा। बांदा - झांसी-मीरजापुर 207 किलोमीटर बाईपास निर्माण के लिए वर्ष 2011 में 44.27 करोड़ रुपये का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ था। कुल जारी 54 करोड़ में दस से 12 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। मुख्य अभियंता ने करीब 42 करोड़ रुपये के गबन एवं सरकारी धन के दुरुपयोग की रिपोर्ट शासन को सौंपी थी। प्रभारी मंत्री लाखन सिंह राजपूत शुक्रवार को जिले के दौरा करने आ रहे हैं। उनके दौरे में भी इस प्रकरण पर जांच पड़ताल की जाएगी।

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दैनिक जागरण ने सबसे पहले किया था पर्दाफाश

इस खेल का सबसे पहले दैनिक जागरण ने पर्दाफाश किया था। 19 सितंबर के अंक में 'मानकों को खोद पार की दस करोड़ की मिट्टी' खबर प्रकाशित की थी। आवास विकास निवासी अजय कुमार मिश्र ने सूचना अधिकार के तहत लोक निर्माण विभाग की मनमानी का मामला शासन तक पहुंचाया था। शिकायतकर्ता का आरोप था कि मिट्टी पुराई के नाम सबसे ज्यादा घोटाला किया गया है। यह बात मुख्य अभियंता की जांच में साबित भी हुई है।

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परत दर परत :

-60 मीटर चौड़ाई में भूमि का अधिग्रहण करना था तो जिम्मेदार अफसरों ने 70 मीटर चौड़ाई का अधिग्रहण क्यों किया ?

-बाईपास में बिल्कुल बगल की जमीन से मिट्टी खोदकर पुरवाई के बाद मिट्टी मंगाने का फर्जी बिल- बाउचर क्यों लगाया?

- छह करोड़ रुपये की अनुमानित लागत की मिट्टी का भुगतान 20 करोड़ क्यों?

-बगैर कोई प्रस्ताव स्वीकृति कई स्थानों पर दस करोड़ रुपये लागत से पुलिया निर्माण क्यों?

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इन पर हो सकती कार्रवाई

घोटाले में एक अधिशासी अभियंता, पांच सहायक अभियंता, पांच अवर अभियंता की भूमिका संदिग्ध है। सभी से जवाब तलब किया गया है। लोक निर्माण राज्यमंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय ने मुख्य अभियंता से पूरे प्रकरण की जानकारी ली है।


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