प्रशासन ने जलवाए अलाव, खुल गए रैन बसेरों में ताले
जागरण संवाददाता, बांदा : कड़ाके की ठंड पड़ने के बाद भी प्रशासन व जिम्मेदार अधिकारियों क
जागरण संवाददाता, बांदा : कड़ाके की ठंड पड़ने के बाद भी प्रशासन व जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही से शहर के रैन बसेरों के ताले नहीं खोले जा रहे थे। साथ ही सार्वजनिक स्थलों पर अलाव न जलवाए जाने से गरीबों को कागज व दफ्तियों के सहारे ठंड दूर करनी पड़ रही थी। जागरण ने गरीबों की इस समस्या से सबंधित खबर को प्रकाशित किया। खबर का संज्ञान लेते हुए तहसील प्रशासन ने रोडवेज के रैन बसेरा का गरीबों के ताला खुलवाया और अलाव के इंतजाम किए। इससे राहगीरों व गरीबों को काफी राहत मिली।
शहर में गरीबों को ठंड में रात गुजारने के लिए चार रैन बसेरा बनाए गए हैं। इसके अलावा एक या दो रैन बसेरा अस्थाई तौर भी बनाए जाते रहे हैं। लेकिन इस साल गरीबों को ठंड में ठिठुरना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति तब है जब शासन ने जनपद में ठंड से निपटने के लिए साढ़े 27 लाख का बजट भी पखवारे भर पहले दे दिया है। लेकिन प्रशासन अभी तक प्रशासन कंबलों की खरीद की प्रक्रिया भी पूरी नहीं कर सका है। इसके अलावा को लेकर भी कोई सक्रिया नहीं दिख रही थी। गरीबों को ठंड से बचाव के लिए संघर्ष करना पड़ रहा था। जागरण ने 14 दिसंबर के अंक में इस खबर को प्रमुखता से फोटो के साथ प्रकाशित किया। खबर का संज्ञान लेते हुए डीएम हीरालाल ने एसडीएम और तहसीलदारों को कड़ी फटकार लगाई और तत्काल अलाव जलवाने के निर्देश दिए। शुक्रवार को एसडीएम सदर थमीम अंसारिया और तहसीलदार अवधेश कुमार निगम ने रोडवेज बस स्टैंड में खुले रैन बसेरा का ताला खुलवाया और राहगीरों व गरीबों के लिए रात में ठहरने के सभी इंतजाम कराए। इसके अलावा रोडवेज परिसर में लकड़ियां गिराकर अलाव भी शुरू कराया गया। दो दिन से पड़ रही कड़ाके की ठंड में अलाव का इंतजाम हुआ तो गरीबों व मुसाफिरों ने काफी राहत महसूस की। तहसीलदार ने बताया कि अन्य सार्वजनिक स्थलों पर भी अलाव जलवाए जा रहे हैं। दो दिन के अंदर गरीबों को कंबल का वितरण शुरू कर दिया जाएगा।
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-ठंड से किसी की मौत हुई तो तहसील प्रशासन और नगर पालिका के अधिकारी सीधे जिम्मेदार होंगे। अलाव व कंबल वितरण में लापरवाही हुई तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। -हीरालाल, डीएम
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किसानों पर ठंड की मार
मंडी परिषद में किसानों पर अभी ठंड की मार पड़ रही है। यहां धान लेकर आने वाले किसानों को ठंड से बचाव के लिए स्वयं के संसाधन जुटाने पड़ रहे हैं। मंडी प्रशासन इसे लेकर गंभीर नहीं हैं। मंडी के किसान विश्राम कक्ष में ताला खुलवाने वाला कोई नहीं है। रात में रुकने पर किसानों को ट्रालियों के नीचे रात गुजारनी पड़ रही है।