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World Rabies Day 2022: आवारा कुत्तों के आतंक से जूझ रहा बलरामपुर, हर गली और सड़क पर घूम रही दहशत

शहर की विभिन्न गलियों में लोगों के लिए खतरा बने आवारा कुत्तों को रेबीज की वैक्सीन भी नहीं लगाई गई है जिससे लोग उनके प्रकोप का शिकार हो रहे हैं। पशुपालन वन विभाग व नगर पालिका की लापरवाही यह है कि इनकी गणना भी अब तक नहीं हो पाई है।

By Shlok MishraEdited By: Published: Tue, 27 Sep 2022 09:44 PM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2022 01:53 AM (IST)
World Rabies Day 2022: आवारा कुत्तों के आतंक से जूझ रहा बलरामपुर, हर गली और सड़क पर घूम रही दहशत
पशु चिकित्सालय में केवल परामर्श मिलता है।

बलरामपुर [श्लोक मिश्र]। कुत्ते व बंदरों में पाया जाने वाला रेबीज वायरस मनुष्यों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। इनके काटने पर अगर समय से एंटी रेबीज वैक्सीन न लगे, तो पीड़ित हाइड्रोफोबिया का शिकार हो जाता है। इससे पानी के लिए तड़प-तड़प कर पीड़ित की जान चली जाती है। शहर समेत ग्रामीण क्षेत्रों में कुत्ता पालने की शौकीनों की संख्या बढ़ी है। पशुपालन विभाग अब तक इनके लिए दवा व टीके का कोई इंतजाम नहीं कर पाया है। 

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यही नहीं, शहर की विभिन्न गलियों में लोगों के लिए खतरा बने आवारा कुत्तों को रेबीज की वैक्सीन भी नहीं लगाई गई है, जिससे लोग उनके प्रकोप का शिकार हो रहे हैं। पशुपालन, वन विभाग व नगर पालिका की लापरवाही का आलम है कि शहर से लेकर गांव तक कितने कुत्ते व बंदर हैं, इसकी गणना भी विभाग अब तक नहीं कर पाया है।

पशु चिकित्सालय में केवल परामर्श मिलता है

रोडवेज के सामने राजकीय पशु चिकित्सालय में कुत्ते के शौकीनों को डागी के बीमार होने पर केवल परामर्श मिलता है। यहां चिकित्सक एवं स्वास्थ्य कर्मी इलाज तो कर देते हैं, लेकिन दवाएं बाहर स्थित एक मेडिकल स्टोर से मंगानी पड़ती है। अचलापुर निवासी सुरेश श्रीवास्तव, टेढ़ी बाजार निवासी अंकुर चौहान ने बताया कि पशु चिकित्सालय में फार्मासिस्ट इंजेक्शन व दवाओं की पर्ची थमा देते हैं, जो निकट के निजी मेडिकल स्टोर से खरीदनी पड़ती है। 

शहर में 400 से अधिक ने पाल रखा कुत्ता 

कुत्ते, बिल्ली, खरगोश व बंदर समेत अन्य जानवरों की दवाएं बेचने वाले मेडिकल स्टोर के संचालक हरिकांत ने बताया कि शहर में 400 से अधिक ने कुत्ते व बिल्ली पाल रखी है, जो उनके यहां से दवाएं ले जाते हैं। शहर के राजकीय पशु चिकित्सालय में परामर्श मिल जाता है, लेकिन दवाएं शौकीनों को खुद खरीदनी पड़ती है।

एआरवी लगवाने को करनी पड़ती मशक्कत 

चिकित्सकों का मानना है कि एक सप्ताह के अंदर पीड़ित को एंटी रेबीज लग जाना चाहिए। जिला मेमोरियल समेत सभी सीएचसी में एआरवी पर्याप्त होने का दावा किया जा रहा है। फिर भी अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों से लोग जिला मुख्यालय ही इंजेक्शन लगवाने पहुंचते हैं। 

चिकित्साधिकारी डा. अजय पांडेय का कहना है कि मेमोरियल अस्पताल में एआरवी के लिए अलग काउंटर बना है। यहां आसानी से एआरवी मरीजों को मिल जाती है। रविवार को अवकाश होने पर अगले कार्य दिवस में एआरवी लगवा सकते हैं।

एआरवी उपलब्ध, कर्मियों की कमी: सीवीओ

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. आरबी सिंह ने बताया कि एंटी रेबीज का इंजेक्शन उपलब्ध है। डागी को लेकर जो अस्पताल आते हैं, उन्हें लगाया जा रहा है। कर्मियों की कमी के कारण आवारा कुत्तों को एआरवी नहीं लग पाई है।


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