कच्ची शराब का फलफूल रहा कारोबार, अनहोनी का इंतजार
संवाद सूत्र, उतरौला (बलरामपुर):। क्षेत्र में अवैध कच्ची शराब का कारोबार अच्छी तरह फल-फूल रहा है। जिम्मेदारों के संरक्षण के चलते इस कारोबार पर कभी भी पूर्ण विराम नहीं लग सका है। ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध रूप से बन रही कच्ची शराब स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित होती है लेकिन सस्ती होने के कारण ग्रामीण क्षेत्र के लोग इसका उपयोग काफी मात्रा में करते हैं। कच्ची शराब के सेवन से किडनी, लीवर फेफड़े तथा आंखों के रोग हो जाते हैं और बीमारियों से ग्रसित होकर असमय काल क्षेत्रों में सघन निरीक्षण कर इस अवैध धंधे पर रोक लगाएं।
बलरामपुर : जिले में अवैध कच्ची शराब का कारोबार धड़ल्ले से फल-फूल रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में धड़ल्ले से धधक रहीं कच्ची शराब की भट्ठियां। जिम्मेदारों के संरक्षण के चलते इस काले कारोबार पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। प्रशासन सब कुछ जानकर भी अनजान है। आमजन सस्ते दामों पर मिलने वाली कच्ची शराब पीकर बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। आबकारी व पुलिस कभी-कभार छापेमारी कर फर्ज अदायगी कर अपनी पीठ थपथपा लेती है। सहारनपुर में जहरीली शराब पीने से हुई मौतों के बाद भी प्रशासन नहीं चेत रहा है।
यहां चल रहा कारोबार :
जिले में सबसे अधिक अवैध शराब की भट्ठियां रेहरा थाना क्षेत्र में हैं। जहां जंगलों के बीच करीब सात गांवों में दिन रात शराब बनाने व पिलाने का कारोबार चलता रहता है। मोहम्मदनगर, जाफराबाद, भलवार, मंगुरहवा, अगया बुजुर्ग, मौर्यागंज, किशुनपुर ग्रंट व उतरौला क्षेत्र के गुमड़ी, शिवपुर महंत, कुरकुट पुरवा, महदेइया, चमरूपुर में अवैध शराब की भट्ठियां धधकती रहती हैं। यहां से शराब बनाकर ग्रामीण अंचलों में भेजी जाती है।
ऐसे बनाई जाती है शराब :
-कच्ची शराब बनाने के लिए महुआ, गुड़ व चावल का इस्तेमाल किया जता है, लेकिन तीव्रता को बढ़ाने के लिए कारोबारी यूरिया, नौसादर, ऑक्सीटोसिन, डायजीपाम जैसी रासायनिक दवाओं का मिश्रण करते हैं। जिसे पीकर लोग किडनी, लीवर व फेफड़े के मरीज बन रहे हैं। लंबे समय से चल रहे इस अवैध कारोबार में जिम्मेदारों की मूक सहमति से इंकार नहीं किया जा सकता है।
जिम्मेदार के बोल :
-एएसपी एसके ¨सह का कहना है कि अवैध शराब बनाने व बेचने वालों के खिलाफ नियमित अभियान चलाया जाता है। पूर्व में ही सभी थानाध्यक्षों को इस अवैध धंधे पर रोक लगाने के निर्देश दिए गए हैं।