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धूप-बदरी का रहा नजारा, चितित हो उठे किसान

चित्र परिचय सब हेड दिन भर बदरी छाने से बढ़ी किसानों की चिता कल आंधी-पानी की है संभावना संवादसूत्र बलरामपुर मौसम का मिजाज बुधवार को बदला-बदला नजर आया। सुबह से ही धूप बदरी का सिलसिला जारी रहा जिससे लोग बारिश होने का कयास लगाते रहे। मौसम बदलने से किसानों को फसलों की चिता सताने लगी है। हालांकि पानी न गिरने से किसानों ने राहत की सांस तो ली लेकिन बारिश की आशंका से उनकी बेचैनी बढ़ गई है। बलरामपुर का तापमान अधिकतम अधिकतम 29 व न्यूनतम 1

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Mar 2020 09:35 PM (IST)Updated: Thu, 12 Mar 2020 06:11 AM (IST)
धूप-बदरी का रहा नजारा, चितित हो उठे किसान
धूप-बदरी का रहा नजारा, चितित हो उठे किसान

बलरामपुर : मौसम का मिजाज बुधवार को बदला-बदला नजर आया। सुबह से ही धूप बदरी का सिलसिला जारी रहा, जिससे लोग बारिश होने का कयास लगाते रहे। मौसम बदलने से किसानों को फसलों की चिता सताने लगी है। हालांकि पानी न गिरने से किसानों ने राहत की सांस तो ली, लेकिन बारिश की आशंका से उनकी बेचैनी बढ़ गई है। बलरामपुर का तापमान अधिकतम अधिकतम 29 व न्यूनतम 18 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। फसलों को लेकर किसान चितित :

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-गैंड़ासबुजुर्ग क्षेत्र के किसान शिवंबर प्रसाद मिश्र का कहना है कि मौसम का बदला मिजाज फसलों के लिए लाभप्रद नहीं है। यदि ओले गिरते हैं तो गेहूं, सरसों, अरहर, मटर व चना की फसलों को काफी नुकसान पहुंच सकता है। शिवपुरा के किसान राम बहादुर ने बताया कि ओला गिरने से सब्जी की खेती भी प्रभावित हो जाएगी। फसलों को लेकर किसान चितित :

-हरैया सतघरवा क्षेत्र के किसान मनमोहन तिवारी का कहना है कि मौसम का बदला मिजाज फसलों के लिए लाभप्रद नहीं है। यदि बारिश होती है तो गेहूं, सरसों, अरहर, मटर व चना की फसलों को काफी नुकसान पहुंच सकता है। उतरौला के किसान ठाकुर प्रसाद ने बताया कि ओला गिरने से सब्जी की खेती भी प्रभावित हो जाएगी। कल आंधी-पानी की है संभावना :

-कृषि विज्ञान केंद्र पचपेड़वा के मौसम वैज्ञानिक डॉ. अंकित तिवारी ने बताया कि जिले में 12 मार्च को आंशिक रूप से बादल छाए रहने के साथ तेज हवाएं चलेंगी। 13 मार्च को गरज के साथ आंधी-पानी आने की संभावना है। मध्यम वर्षा व सामान्य से तेज पुरवा हवाएं भी चलेंगी। इस वर्षा के कारण न्यूनतम तापमान में भी गिरावट आने की संभावना है। किसान मौसम पूर्वानुमान के अनुसार ही फसलों का प्रबंधन करें।


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