यूरिया से गोदाम खाली, नेपाल में कालाबाजारी
दो दिन में खत्म हो गई 13337 बोरी यूरिया नेपाल ले जाते समय एसएसबी ने पकड़ी खाद
बलरामपुर : धान की टॉपड्रेसिग के लिए किसानों को यूरिया की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। मांग बढ़ने पर अचानक बाजार में यूरिया की कमी हो गई है। इसके पीछे एक किसान को मानक से अधिक उर्वरक देना मुख्य वजह माना जा रहा है। क्योंकि सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण यूरिया नेपाल के बाजारों में पहुंचाने की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता है। पचपेड़वा क्षेत्र में एसएसबी ने सोमवार को नेपाल जा रही 60 बोरी यूरिया लदी ट्रैक्टर-ट्रॉली को पकड़ा है। हालांकि कृषि विभाग जिले में भरपूर यूरिया होने का दावा कर रहा है। बावजूद इसके किसानों को समिति से निराश होकर खाली हाथ लौटना पड़ रहा है।
जंगली रास्ते से सीमा पार हो रही खाद : -जिले का पचपेड़वा, गैंसड़ी व तुलसीपुर विकास खंड भारत-नेपाल की सीमा पर बसा है। साधन सहकारी समितियों पर 45 किलोग्राम यूरिया की कीमत 266.50 रुपये निर्धारित है। जबकि नेपाल के बाजारों में इसका मूल्य 600 से 700 रुपये (भारतीय मुद्रा में) है। हरिहरगंज, हरैया सतघरवा, मथुरा, ललिया, शिवपुरा, गैंसड़ी, पचपेड़वा, बालापुर, तुलसीपुर समेत अन्य सीमावर्ती बाजारों में बिना लाइसेंस उर्वरक विक्रेता धड़ल्ले से 400 से 500 रुपये में खाद बेच रहे हैं। सूत्र की मानें तो दोनों देशों की खुली सीमा होने के कारण जंगली रास्ते से यूरिया नेपाल तक पहुंचाई जाती है। सोमवार को एसएसबी ने भारत-नेपाल सीमा स्तंभ संख्या 573 के पास ट्रैक्टर-ट्रॉली से 60 बोरी यूरिया नेपाल ले जाते समय पकड़ लिया। चालक राजू गौतम निवासी ग्राम बैरवा त्रिलोकपुर सिद्धार्थनगर को गिरफ्तार किया गया। दो दिन में ही खत्म हो गई यूरिया :
-जिले में 62 साधन सहकारी समितियों में से 41 संचालित हैं। दो लाख 45 हजार किसान पंजीकृत हैं। 18 जुलाई को 21 समितियों को 13337 बोरी यूरिया आवंटित हुई थी। जो दो दिन में ही खत्म हो गई। जिले के किसान एक बोरी खाद के लिए जद्दोजहद करने को मजबूर हैं।
जिम्मेदार के बोल :
जिला कृषि अधिकारी मनजीत कुमार ने बताया कि यूरिया नेपाल न जाने पाए। इसके लिए एसएसबी से मदद मांगी गई है। टीम को सक्रिय कर दिया गया है। सीमा पर चौकसी बरती जा रही है।