223 नलकूपों को ऑपरेटर की दरकार, कैसे बहे पानी की धार
जिले का नलकूप विभाग संसाधनों की कमी से जूझ रहा है। नलकूपों का संचालन करने के लिए पर्याप्त चालक हैं और न ही कर्मचारी। जिले में 371 राजकीय नलकूप हैं। जिसके सापेक्ष महज 14
बलरामपुर : जिले का नलकूप विभाग संसाधनों की कमी से जूझ रहा है। नलकूपों का संचालन करने के लिए पर्याप्त चालक हैं और न ही कर्मचारी। जिले में 371 राजकीय नलकूप हैं। जिसके सापेक्ष महज 148 ऑपरेटर की ही तैनाती है। इन ऑपरेटरों पर नलकूप संचालन के अतिरिक्त विभागीय कार्यों का भी बोझ डाल दिया गया है। ऐसे में चालकों के राजस्व के कार्यों में लगे होने के चलते अधिकांश नलकूप बंद पड़े हैं। जिम्मेदार अफसर नलकूप बंद होने की दशा में विद्युत विभाग पर ठीकरा फोड़कर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहे हैं। जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। फसलों की ¨सचाई के लिए भटकते किसान निजी संसाधनों का सहारा लेने को मजबूर हैं। कागजों पर पानी उगल रहे नलकूप :
-जिले में 371 राजकीय नलकूपों को चलाने के लिए 148 चालकों की तैनाती है। इसमें उतरौला उपखंड में 35, बलरामपुर में 34 व तुलसीपुर में 79 नलकूप चालकों की तैनाती है। ऐसे में 223 नलकूप बिना ऑपरेटर के ही कागजों पर पानी उगल रहे हैं। सूत्र की मानें तो जो ऑपरेटर हैं, भी वह नलकूपों का संचालन करने के बजाय राजस्व के कार्यों में लगे हुए हैं। वजह, नलकूप विभाग में संग्रह अमीन व जिलेदार अपना कार्य स्वयं करना मुनासिब नहीं समझते। कार्य निपटाने के लिए इन्हीं चालकों को दौड़ाया जाता है। जिससे नलकूपों का संचालन बाधित रहता है।
जिम्मेदार के बोल :
-अधिशासी अभियंता अमरनाथ गुप्त का कहना है कि नलकूप चालकों की कमी है। जिसके बारे में उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है। विद्युत व यांत्रिक दोष के कारण नलकूपों का संचालन बाधित है।