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सुरक्षित रहे आंखों का नूर, भले रहे नजरों से दूर

पचपेड़वा(बलरामपुर) : जिला कारागार में निरुद्ध बंदियों की रिहाई के लिए हुए प्रस्ताव से परिज

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Sep 2018 10:06 PM (IST)Updated: Wed, 19 Sep 2018 10:06 PM (IST)
सुरक्षित रहे आंखों का नूर, भले रहे नजरों से दूर
सुरक्षित रहे आंखों का नूर, भले रहे नजरों से दूर

पचपेड़वा(बलरामपुर) : जिला कारागार में निरुद्ध बंदियों की रिहाई के लिए हुए प्रस्ताव से परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं है। क्षेत्र के विशुनपुर टनटनवा निवासिनी रामजानकी अपने बेटे बजरंगी की रिहाई होने पर उसे नेपाल में कारोबार कराने का सपना संजो रही है। कहती है कि एक बार पुलिस ने बेटे बजरंगी को फर्जी फंसाकर उससे दूर कर दिया। अब छह साल बाद अगर सरकार उसे रिहा कर देती है तो उसे गांव में नहीं रुकने दूंगी। वह भले ही मेरी आंखों से दूर रहे, लेकिन अतीत की परछाई अब उस पर नहीं पड़ने दूंगी। वह नेपाल में सुरक्षित रहकर कारोबार करे। यह कहकर वह फफक कर रो पड़ती है।

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विशुनपुर टनटनवा निवासी भजनलाल का मझला बेटा बजरंगी आ‌र्म्स एक्ट में जिला कारागार में निरुद्ध है। बड़ा बेटा बब्लू नेपाल के तुलसियापुर में होटल चलाता है। जबकि छोटा बेटा गोलू राजस्थान में प्राइवेट कंपनी में काम करता है। बजरंगी की मां रामजानकी चाट का ठेला लगाती है। जबकि पिता विवाह व अन्य मांगलिक कार्यक्रमों में खाना बनाने का कार्य करता है। भजनलाल ने बताया कि वह हर माह दो-तीन बार बेटे से जेल में मुलाकात करने के लिए जाते हैं। बताया कि बेटे की रिहाई के लिए अब तक वकील को 20 हजार रुपये अदा कर चुकी है, लेकिन वह सलाखों की कैद से बाहर नहीं निकल सका है। अब जब जेल में निरुद्ध कैदियों को दो अक्टूबर को रिहा करने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है, तो यह उम्मीद जगी है कि शायद चंद दिनों में बेटा बजरंगी खुली हवा में सांस ले सकेगा।


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