सुरक्षा के साथ समाजसेवा की भूमिका निभा रहे जवान
जागरण विशेष : बलरामपुर : इंडो-नेपाल बार्डर की सुरक्षा के साथ ही एसएसबी के जवान
जागरण विशेष : बलरामपुर :
इंडो-नेपाल बार्डर की सुरक्षा के साथ ही एसएसबी के जवान बच्चों को पढ़ाने व महिलाओं को स्वावलंबन की सीख दे रहे हैं। सीमावर्ती गांवों में बसे लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जवान कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इसमें अधिकारियों का भी सराहनीय योगदान रहता है। 20 से अधिक महिलाएं सिलाई-कढ़ाई सीख कर आत्मनिर्भर हो चुकी है। यही नहीं, सेना में नौकरी के लिए भी युवाओं को प्रेरित किया जाता है। उन्हें सेना में जाने के लिए भी प्रशिक्षित किया जा रहा है। शिक्षक की भूमिका में जवान
-सीमावर्ती गांव में स्थित बालू प्राथमिक, नंदमहरा, टमकुल, भूसहर तरवा, बघेलखंड व श्री भगवती जनजातीय लघु माध्यमिक विद्यालय जरवा को एसएसबी ने गोद ले रखा है। ड्यूटी खत्म होने के बाद जवान इन स्कूलों में पहुंचते हैं। बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करते हैं। उन्हें पढ़ाई की बारीकियां बताते हैं। कंप्यूटर कक्ष स्थापित करवा चुके हैं। लाइब्रेरी की व्यवस्था की है। जिससे बच्चे आधुनिक जानकारियां हासिल कर सके। प्रतियोगिताओं में शामिल होने वाले छात्रों को प्रतियोगी परीक्षा की पुस्तकें दी जाती है। युवाओं को करते हैं प्रेरित
-सीमावर्ती गांवों में युवा बेरोजगारों को सेना में जाने के लिए भी प्रेरित किया जाता है। यही नहीं, युवाओं को सेना में जाने से पहले की जाने वाली तैयारियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है। शारीरिक फिटनेस पर ध्यान देने के लिए टिप्स दिए जाते हैं।
महिलाओं को बना रहे स्वावलंबी
-इंडो नेपाल बार्डर पर बसे थारू गांव की महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए जवान सिलाई-कढ़ाई के लिए प्रेरित कर रहे हैं। अब तक 20 महिलाएं प्रशिक्षित हो चुकी हैं। 15 महिलाओं को प्रशिक्षित किए जाने की कवायद हो रही है। मुफ्त में दी जाती है सिलाई मशीन
महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए प्रति महिला को एक-एक सिलाई मशीन मुफ्त में मुहैया कराया जाता है। ताकि वह घर बैठकर रोजी रोटी की व्यवस्था कर सकें। जिससे वह स्वावलंबी बन परिवार की आर्थिक स्थिति संभाल सके। जिम्मेदार के बोल
एसएसबी नौंवी वाहिनी के कमांडेंट प्रदीप कुमार का कहना है कि सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं को सीमावर्ती गांवों में पहुंचाए जाने का काम हो रहा है। बच्चों, महिलाओं व युवाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है।