साहस व आत्मविश्वास की मिसाल हैं दिव्या
संवादसूत्र, बलरामपुर : ताइक्वांडो जगत में जिले का नाम अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर चमकाने वाली दिव्या गिरि जिले की बालिकाओं के लिए किसी मिसाल से कम नहीं हैं। घर के कामकाज निपटाने साथ निजी स्कूल में शिक्षण कार्य करने वाली दिव्या खेल मैदान पर बालिकाओं को सशक्त बनाने में जुटी हुईं हैं। वर्ष 2017 में भूटान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय ताइक्वांडो प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल कर न केवल विदेश में तिरंगा लहराया, बल्कि अपने माता-पिता समेत बलरामपुर का भी नाम रोशन किया। 12 साल से कड़ी मेहनत व लगन से वह निरंतर सफलता के शिखर पर पहुंचकर आधी आबादी को प्रेरणा दे रहीं हैं।
बलरामपुर :ताइक्वांडो जगत में जिले का नाम अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर चमकाने वाली दिव्या गिरि जिले की बालिकाओं के लिए किसी मिसाल से कम नहीं हैं। घर के कामकाज निपटाने साथ निजी स्कूल में शिक्षण कार्य करने वाली दिव्या खेल मैदान पर बालिकाओं को सशक्त बनाने में जुटी हुईं हैं। वर्ष 2017 में भूटान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय ताइक्वांडो प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल कर न केवल विदेश में तिरंगा लहराया, बल्कि अपने माता-पिता समेत बलरामपुर का भी नाम रोशन किया। 12 साल से कड़ी मेहनत व लगन से वह निरंतर सफलता के शिखर पर पहुंचकर आधी आबादी को प्रेरणा दे रहीं हैं।
ऐसी की शुरुआत :
-नगर के झारखंडी मंदिर के पुजारी विनय कुमार गिरि की पुत्री दिव्या ने वर्ष 2007 में नौ साल की उम्र में ताइक्वांडो का सफर शुरू किया। ताइक्वांडो प्रशिक्षक जियाउल हशमत के सानिध्य में ताइक्वांडो का गुर सीखना शुरू किया। बताया कि उस समय वह चौथी कक्षा में पढ़ती थी। जिस पर पहले तो परिवारजन ने ऐतराज किया, लेकिन दिव्या की ललक को देखकर मान गए। दो साल कड़ी मेहनत के बाद दिव्या ने 2009 में राष्ट्रीय ताइक्वांडो प्रतियोगिता में रजत पदक के साथ खाता खोला। इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2013 व 2015 में राष्ट्रीय प्रतियोगिता में एक बार फिर रजत पदक हासिल किया। 2016 व 2017 में अखिल भारतीय विश्वविद्यालयीय प्रतियोगिता में छठवां स्थान प्राप्त किया। इसके अलावा राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भी चार स्वर्ण पदक हासिल किए।
नहीं डिगा साहस :
-दिव्या बताती हैं कि उसकी छोटी बहन शिवांगी भी उसके साथ ताइक्वांडो का अभ्यास करती थी। अगस्त 2018 में उसकी सांप काटने से मौत हो गई। इसी दौरान उसे मध्य प्रदेश में आयोजित ताइक्वांडो प्रतियोगिता में भाग लेना था। दुर्भाग्य के इन पलों में उसने साहस का दामन नहीं छोड़ा और प्रतियोगिता में प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया।