मासूमों के चेहरे पर मुस्कान बिखेर रहा एनआरसी
ं 17190 कुपोषित व 14270 अतिकुपोषित बच्चे चिह्नित किए गए हैं। अतिकुपोषित बच्चों को इलाज के लिए एनआरसी भेजा जाता है। जहां उन्हें पूरक पोषाहार के साथ दवाएं दी जाती है। साथ ही परिवार के एक सदस्य को निश्शुल्क भोजन व प्रतिदिन 50 रुपये के हिसाब से दिया जाता है।
बलरामपुर :
जिला मेमोरियल अस्पताल में स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) मासूमों के चेहरे पर मुस्कान बिखेर रहा है। न्यूट्रीशन स्ट्रेटजी व नीति आयोग की रिपोर्ट में जिले के माथे पर कुपोषण का कलंक लग चुका है। जिले में 17190 कुपोषित व 14270 अतिकुपोषित बच्चे चिह्नित किए गए हैं। अतिकुपोषित बच्चों को इलाज के लिए एनआरसी भेजा जाता है। जहां उन्हें पूरक पोषाहार के साथ दवाएं दी जाती है। साथ ही परिवार के एक सदस्य को निश्शुल्क भोजन व प्रतिदिन 50 रुपये के हिसाब से दिया जाता है। अब तक एनआरसी में करीब 578 अतिकुपोषित बच्चों को भर्ती किया जा चुका है। जिनमें से अधिकांश सेहतमंद हो चुके हैं।
गैंसड़ी के प्रेमनगर सझवल निवासिनी किस्मत जहां के सात माह के बेटे दानिश को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया गया था। पिता रफीक ने बताया कि दानिश जन्म से ही बहुत दुबला था। सात माह का होने के बाद भी पूरे शरीर में केवल हड्डी ही दिख रही थी। सीएचसी तुलसीपुर से एनआरसी ले जाने की सलाह दी गई। यहां इलाज के बाद उसकी सेहत सुधर गई। महराजगंज तराई के हरिहरनगर निवासी सुंदर की चार वर्षीय पोती खुशी अतिकुपोषित थी। एनआरसी पर इलाज के बाद वह स्वस्थ हो गई। इसी तरह कुपोषण की शिकार तुलसीपुर की दो माह की रेशमा, ढाई वर्षीय देवपाल व शमीम (दो वर्ष) की भी जिदगी एनआरसी पर आकर संवर गई। 574 बच्चे हो चुके हैं स्वस्थ :
-न्यूट्रीशन रिहेबिलिटेशन सेंटर (एनआरसी) की न्यूट्रीशनिस्ट रिकी सिंह का कहना है कि 21 अप्रैल 2015 से केंद्र संचालित है। अब तक कुपोषण के 578 बच्चे भर्ती हुए हैं। जिसमें से 574 स्वस्थ होकर जा चुके हैं। वर्तमान में कुपोषण से पीड़ित चार बच्चे एनआरसी में भर्ती है, जिनका इलाज चल रहा है।
चिकित्सक डॉ. अजय कुमार पांडेय का कहना है कि कुपोषण से पीड़ित बच्चों को एनआरसी पहुंचाने के लिए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम कार्य कर रही है। साथ ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा व एएनएम का भी सहयोग लिया जाता है।