दवा लिखने में खेल, नियम कायदे फेल
संवादसूत्र बलरामपुर मरीजों को अस्पताल में बेहतर दवा मुहैया कराने के लिए सरकार भले ही करोड़ों रुपये खर्च कर रही हो लेकिन चिकित्सकों की मनमानी से मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। स्पष्ट निर्देश के बाद भी संयुक्त जिला चिकित्सालय में डॉक्टर मरीजों को ओपीडी के पर्चे पर साल्ट (दवा में उपलब्ध तत्वों का विवरण) की जगह सीधे दवा का नाम लिख रहे हैं। ऐसे में मुफ्त इलाज की आस में अस्पताल आने वाले मरीजों को दवा पर
बलरामपुर: मरीजों को अस्पताल में बेहतर दवा मुहैया कराने के लिए सरकार भले ही करोड़ों रुपये खर्च कर रही हो, लेकिन चिकित्सकों की मनमानी से मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। स्पष्ट निर्देश के बाद भी संयुक्त जिला चिकित्सालय में डॉक्टर मरीजों को ओपीडी के पर्चे पर साल्ट (दवा में उपलब्ध तत्वों का विवरण) की जगह सीधे दवा का नाम लिख रहे हैं। ऐसे में मुफ्त इलाज की आस में अस्पताल आने वाले मरीजों को दवा पर 800 से एक हजार रुपये खर्च करना पड़ता है, लेकिन जिम्मेदार इससे अनजान बने हुए हैं।
नगर निवासिनी 38 वर्षीया माया गंभीर हालत में अस्पताल पहुंची। वहां डॉक्टर ने उन्हें ओपीडी पर्चे के साथ छोटा पर्चा पंच (स्टेपल) कर 670 रुपये की बाहरी दवा का नाम लिख कर थमा दिया। 1150 रुपये की बाहर जांच भी लिखी। माया ने बताया कि एक माह में चौथी बार इलाज कराने आईं हैं। हर बार चिकित्सक 600-700 की बाहरी दवा लिखते हैं। बेलवा गांव निवासी ढोढ़े हड्डी व मांसपेशियों में हो रहे दर्द का इलाज कराने अस्पताल पहुंचा। डॉक्टर ने उसे शरीर में कैल्शियम की कमी बताते हुए बाहर मिलने वाली कैल्शियम की टेबलेट लिख दी। ओपीडी में बैठीं 65 वर्षीया सोनपती ने बताया कि एक माह पूर्व आंख का ऑपरेशन कराया था। आंख लाल होने पर डॉक्टर ने 473 रुपये की बाहरी दवा लिखी है। पैसा न होने के कारण दवा नहीं खरीदी कमीशन को होता है खेल
- फार्मासिस्ट बताते हैं कि अस्पताल के पर्चे पर दवा का साल्ट लिखने का नियम है लेकिन, डॉक्टर कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए सीधे दवा का नाम दिख देते हैं। इसके लिए चिकित्सक को कंपनी से कमीशन, टूर पैकेज व कीमती उपहार मिलते हैं। जारी होगी नोटिस :
- सीएमओ डॉ. घनश्याम सिंह का कहना है कि सरकारी पर्चे पर बाहरी दवा लिखने का नियम नहीं है। चिकित्सकों को नोटिस जारी की जाएगी।