नमो देव्यै महा देव्यै : ममता निभा रहीं जिम्मेदारी ताकि गूंजती रहे किलकारी
लखनऊ की बेटी ने जीता गरीब परिवारों का विश्वास प्रसव सेवाओं में हुआ सुधार सभी कर रहे सराहना
बलरामपुर: देश के पिछड़े जनपदों में शामिल जिले में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर काफी बढ़ गई थी। वहीं, इसे नियंत्रित करने के लिए सरकार ही नहीं लखनऊ जैसे बड़े शहरों की बेटियां भी अपना बेहतर योगदान दे रही हैं। भारत-नेपाल सीमा पर बसे पचपेड़वा ब्लाक के हेल्थ वेलनेस सेंटर हरिहरपुर में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी ममता यादव जननी की हमदर्द बन गरीब परिवारों को सुरक्षित मातृत्व का वरदान दे रही हैं।
वहीं, उनके आने के पूर्व यह उप स्वास्थ्य केंद्र खंडहर था। छह हजार आबादी के बीच पांच प्रसव भी यहां नहीं हो पाते थे। गरीब परिवारों का मानना था कि डाक्टर व अस्पताल केवल अमीरों के लिए ही बने हैं। इसलिए वे यहां आने से भी कतराते थे।
संस्थागत प्रसव के प्रति महिलाओं को किया जागरूक:
एएनएम गंगा के सहयोग से ममता ने लोगों का विश्वास जीता। महिलाओं से मिलकर उनको अस्पताल बुलाना शुरू किया। गर्भवती महिलाएं चिह्नित कर उनकी देखभाल शुरू कराई। इस कारण लोगों की संस्थागत प्रसव में रुचि बढ़ने लगी। इसका परिणाम रहा कि अब हर माह 10-12 प्रसव हो रहे हैं।
मातृ स्वास्थ्य के जिला परामर्शदाता विनोद त्रिपाठी का कहना है कि प्रसव व टीकाकरण में हेल्थ वेलनेस सेंटर हरिहरपुर की सेवाएं बेहतर हुई हैं। वहीं, अधीक्षक डा. मिथिलेश का कहना है कि यहां की सीएचओ व स्टाफ नर्स से अन्य लोगों को भी सीख लेनी चाहिए।
गरीबों का दर्द देख मजबूत हुआ हौसला:
लखनऊ में कुर्सी रोड पर मिश्रपुर डिपो के पास हार्डवेयर दुकानदार राजू यादव की तीन संतानों में सबसे बड़ी ममता यादव बताती हैं कि दो साल पहले जब वह यहां योगदान करने आई तो पहली बार झोपड़ियों वाले गांव देखे थे। यहां गरीबों की लाचारी देख वह सिहर गई थीं। फिर उन्होंने ठाना कि गरीब परिवारों को सरकारी योजनाओं का लाभ जरूर मिलना चाहिए। इसके लिए वह गांव में जाकर लोगों को योजनाओं की जानकारी भी देती हैं। वहीं, मुख्यालय से आठ किमी दूर बने हेल्थ वेलनेस सेंटर जाने के लिए ममता को काफी परेशानियां भी उठानी पड़ती हैं फिर भी वह हिम्मत नहीं हारीं। शहर की सुख-सुविधाओं को छोड़कर वह जोश के साथ ग्रामीणों की सेवा कर रही हैं।