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साहब गए भूल, मंदिर में चल रहा स्कूल

बलरामपुर : बलरामपुर शिक्षा क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय पहलवारा के नौनिहालों को इस साल भी भवन

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Mar 2018 11:22 PM (IST)Updated: Thu, 22 Mar 2018 11:22 PM (IST)
साहब गए भूल, मंदिर में चल रहा स्कूल
साहब गए भूल, मंदिर में चल रहा स्कूल

बलरामपुर : बलरामपुर शिक्षा क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय पहलवारा के नौनिहालों को इस साल भी भवन नसीब नहीं हो सका। बेसिक शिक्षा विभाग विद्यालय बनवाने के लिए जमीन की तलाश करना फिर भूल गया। जिसके चलते चार साल से यहां के बच्चे पहलवारा मुहल्ला स्थित मैदानी बाबा मंदिर परिसर में खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं। खास बात यह है कि इसी स्कूल के बगल पूर्व राज्यमंत्री डॉ. एसपी यादव का आवास भी है। पांच साल तक सपा सरकार में सत्तासीन होने के बावजूद उनकी नजर इस स्कूल पर नहीं पड़ी। मंदिर के सामने पुराना कुआं होने से दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। जिम्मेदारों ने धरातल पर उतरना मुनासिब नहीं समझा। जिससे सर्दी, बरसात व धूप की तपिश झेल रहे बच्चों की दुश्वारियां कम होने का नाम नहीं ले रहीं हैं।

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प्राथमिक विद्यालय पहलवारा का संचालन नगर के मुहल्ला पहलवारा स्थित मैदानी बाबा मंदिर परिसर में किया जा रहा है। विद्यालय में 95 बच्चे पंजीकृत हैं। जिसके सापेक्ष एकमात्र शिक्षिका शैलजा ¨सह की तैनाती है। शिक्षिका का कहना है कि मंदिर समिति की अनुमति पर यहां चार साल से स्कूल का संचालन किया जा रहा है। शौचालय न होने से बच्चों को परेशानी होती है। मंदिर के सामने पुराना कुआं है जो बरसात होने पर भर जाता है। जिससे बच्चों की असुरक्षा का भय बना रहता है। बच्चे ठंड के मौसम में पाला व गर्मी में कड़ी धूप में पढ़ाई करते हैं। बरसात में बच्चों को बैठाने की समस्या उत्पन्न हो जाती है। बीएसए रमेश यादव का कहना है कि विद्यालय भवन बनवाने के लिए निर्धारित दर पर जमीन नहीं मिल पा रही है। जमीन की तलाश की जा रही है।

70 रुपये में चल रहा स्कूल

-प्रावि पहलवारा का संचालन पहले मुहल्ले में स्थित एक लॉज के पीछे किराये के कमरे में किया जा रहा था। किराये के नाम पर विभाग 70 रुपये प्रतिमाह दे रहा था। अपेक्षित किराया न मिलने पर मकान मालिक ने कमरा खाली करा दिया। जिससे विद्यालय संचालन की समस्या खड़ी हो गई। निर्धारित किराये पर मंदिर प्रशासन स्कूल संचालन कराने को राजी हो गया। जिससे बच्चे यहां दुश्वारियों के बीच किसी तरह शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं।


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