संस्कृत विद्यालयों की संवरेगी सूरत
बलरामपुर : जिले में संचालित संस्कृत विद्यालयों की सूरत बदलने की कवायद शुरू कर दी गई है। जि
बलरामपुर : जिले में संचालित संस्कृत विद्यालयों की सूरत बदलने की कवायद शुरू कर दी गई है। जिले में करीब 100 साल उपेक्षा के शिकार तीन संस्कृत विद्यालयों का जीर्णोद्धार कर संसाधनों से लैस किया जाएगा। विद्यालय में बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए उप्र माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद के निदेशक ने विद्यालय का आंकलन कर बजट का प्रस्ताव मांगा है। बजट मिलने के बाद खंडहर में तब्दील स्कूलों का कायाकल्प हो सकेगा। जिससे इन स्कूलों में अध्ययनरत करीब 245 बच्चों को विद्यालय जैसा माहौल मिल सकेगा।
संस्कृत स्कूलों का हाल :
जिले में माध्यमिक स्तर के तीन संस्कृत विद्यालय संचालित हैं। इनमें महाराजा पाटेश्वरी प्रसाद उच्चतर माध्यमिक संस्कृत विद्यालय की स्थापना वर्ष 1872 में राज परिवार ने की थी। विद्यालय भवन पूरी तरह खंडहर में तब्दील हो चुका है। 133 छात्र पंजीकृत हैं। प्रधानाचार्य देवमित्र त्रिपाठी, शिक्षक सुरेश कुमार पांडेय, योगेश कुमार मिश्र व संवेदना ¨सह की तैनाती है। प्रधानाचार्य ने बताया कि भवन पूरी तरह जर्जर है। जो कभी भी ढह सकता है। शौचालय, हैंडपंप व फर्नीचर की व्यवस्था नहीं है। नगर के भगवतीगंज स्थित आदर्श संस्कृत माध्यमिक विद्यालय की स्थापना वर्ष 1912 में हुई थी। आठ जून 1912 में इसे मान्यता मिली। सफल संचालन के बाद वर्ष 1914 में इसे अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालय का दर्जा मिला। यहां 48 बच्चे नामांकित हैं। जिसके सापेक्ष प्रधानायापक अनुराग मिश्र व शिक्षिका रीता की तैनाती है। तुलसीपुर स्थित राधाकृष्ण संस्कृत विद्यालय में 63 बच्चे नामांकित हैं। प्रधानाचार्य उमाकांत मिश्र, अध्यापिक अनिल द्विवेदी, अरुण कुमार त्रिपाठी व अनिरुद्ध पांडेय की तैनाती है।
98 लाख का किया प्रस्ताव :
संस्कृत स्कूलों के जीर्णोद्धार, शौचालय, बाउंड्रीवाल निर्माण, हैंडपंप व फर्नीचर के लिए तीनों स्कूलों से 98 लाख रुपये का प्रस्ताव किया गया है। इसमें एमपीपी संस्कृत विद्यालय से 35 लाख, आदर्श संस्कृत विद्यालय से 61 व राधाकृष्ण संस्कृत विद्यालय तुलसीपुर से दो लाख रुपये का प्रस्ताव किया गया है।
जिम्मेदार के बोल :
जिला विद्यालय निरीक्षक महेंद्र कुमार कनौजिया का कहना है कि सभी संस्कृत विद्यालयों से निर्धारित प्रारूप पर अपेक्षित बजट का प्रस्ताव मिल गया है। जिसे उप्र माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद लखनऊ को भेजा जाएगा।