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बोलबम के जयकारों से गूंज उठे शिवालय

बलरामपुर : हरितालिका तीज (कजरी तीज) का पर्व बुधवार को जिले में धूमधाम से मनाया गया। कांवडि

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Sep 2018 11:14 PM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2018 11:14 PM (IST)
बोलबम के जयकारों से गूंज उठे शिवालय
बोलबम के जयकारों से गूंज उठे शिवालय

बलरामपुर : हरितालिका तीज (कजरी तीज) का पर्व बुधवार को जिले में धूमधाम से मनाया गया। कांवड़िये बोलबम का जयकारा लगाते हुए राप्ती नदी के सिसई घाट पहुंचे। जल भर शिव भक्त डीजे की धुन पर झूमते हुए परंपरागत मार्ग से राजापुर भरिया पहुंचे। वहां जल के साथ दूध, दही, अक्षत, बेलपत्र, भांग व धतूरे से नीलकंठ महादेव का जलाभिषेक किया। लोगों ने कई स्थानों पर पंडाल लगाकर कांवड़ ले जा रहे श्रद्धालुओं का भव्य स्वागत कर उन्हें जलपान भी कराया। झारखंडी मंदिर पर भोर से भक्तों का तांता लगा रहा। जलाभिषेक के लिए कतार में लगे श्रद्धालुओं अपनी बारी का इंतजार करते रहे। बिजलीपुर स्थित शिव मंदिर, धर्मपुर के झारखंडेश्वर महादेव, गिधरैया के रेणुकानाथ मंदिर में भी जलाभिषेक के लिए शिवभक्तों की भीड़ जुटी रही। इस दिन महिलाओं ने निर्जला व्रत रखकर पति के दीर्घायु होने की कामना भी की। उतरौला संवादसूत्र के अनुसार कजरी तीज (हरियाली तीज) पर नगर व ग्रामीण क्षेत्र के शिवालयों व शिवमंदिरों पर जलाभिषेक करने वालों की भारी भीड़ जुटी। शिवभक्तों ने बेलपत्र, धतूर, गंगा जल, शहद, दूध, दूब, चावल से भगवान भोलेनाथ का अभिषेक किया। दु:खहरण नाथ मंदिर पर सुबह से ही जलाभिषेक व धार्मिक अनुष्ठान करने वालों का तांता लगा रहा। शाम को पोखरे पर मेले का आयोजन भी हुआ। पलिहरनाथ, गुमड़ेश्वर नाथ, पंचवटी मंदिर, खाकीदास मंदिर, शिवगढ़ी मंदिर, मौनीदास मंदिर शक्ति मंदिर पेहर, महदेइया, महुआ बाजार, हासिमपारा में भी कजरी तीज पर्व धूमधाम से मनाया गया। श्रीदत्तगंज संवादसूत्र के अनुसार क्षेत्र के सोमनाथ मंदिर से भक्तों ने कांवड़ शोभायात्रा गाजे बाजे के साथ निकाली। महंत जितेंद्र बन बाबा ने पूजन-अर्चन के बाद श्रीराम जानकी मंदिर, हनुमान गढ़ी होते हुए राजापुर भरिया जंगल स्थित कपलेश्वर नाथ मंदिर में जलाभिषेक किया गया। गौरा चौराहा संवादसूत्र के अनुसार बिजलेश्वरी मंदिर पर श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक किया। सादुल्लाहनगर संवादसूत्र के अनुसार क्षेत्र के पलिहारनाथ, नथईपुर कानूनगो, नयानगर, सिद्धिश्वरनाथ मंदिर पर भोर से ही जलाभिषेक करने वाले भक्तों का तांता लगा रहा। मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए 107 जन्मों तक घोर तप किया। 108 वें जन्म में नीलकंठ ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया। तभी से कजरी तीज व्रत शुरू हुआ। इस दिन श्रृंगार कर भगवान शिव व मां पार्वती की आराधना का विशेष महत्व होता है।

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