सड़क की गुणवत्ता में खेल, लैब में पास, राहगीर रहे झेल
बलरामपुर : प्रदेश सरकार सड़कों की बदहाली को दूर करने के लिए भले ही क्यों न प्रयासरत
बलरामपुर : प्रदेश सरकार सड़कों की बदहाली को दूर करने के लिए भले ही क्यों न प्रयासरत हो, लेकिन अफसरों की कार्यशैली से उसकी मंशा परवान नहीं चढ़ पा रही है। लाखों रुपये खर्च कर बनाई जाने वाली सड़कें महज दो से तीन महीने में टूटकर क्षतिग्रस्त हो रही है। जिसका खामियाजा राहगीरों को उबड़-खाबड़ सड़कों पर चलकर भुगतना पड़ रहा है। जनप्रतिनिधि व प्रशासनिक अफसर भी चुप्पी साधे हुए हैं। उधर लोक निर्माण विभाग के अफसर प्रयोगशाला में हुई जांच में गुणवत्ता पास होने का दावा कर रहे हैं। नहीं मिली मानकविहीन सड़क
-प्रांतीय खंड कार्यालय में स्थित प्रयोगशाला में हुई जांच में सभी सड़क मानक के अनुसार पाई गई। तारकोल की मात्रा, गिट्टी की जांच की गई। तारकोल का कोई परीक्षण फेल नहीं हुआ। 70 प्रतिशत सड़कों की जांच स्थानीय स्तर से होती है। जबकि 30 प्रतिशत सड़कों की जांच प्रदेश स्तर की टीम करती है। इन ब्लॉकों में कराए गए हैं काम
पचपेड़वा, गैंड़ास बुजुर्ग, हरैया सतघरवा, सदर, गैंसड़ी, उतरौला, श्रीदत्तगंज, तुलसीपुर व रेहरा बाजार ब्लॉक क्षेत्रों में एक वर्ष पूर्व मरम्मत कराई गई थी। यही नहीं, 15 से अधिक सड़कों का निर्माण हुआ था। उन सड़कों का पुरसाहाल नहीं है। क्या कहते हैं जिम्मेदार
प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता डीएन राम का कहना है कि सड़क निर्माण के गुणवत्ता की जांच बराबर की जाती है। 30 प्रतिशत सड़कों की गुणवत्ता की जांच प्रदेश स्तर की टीम करती है। 70 प्रतिशत सड़कों की जांच स्थानीय स्तर पर प्रयोगशाला में की जाती है।