पॉली हाउस की खेती कर नजीर बने उमेश
नीति आयोग ने भले ही जिले को गोद लेकर पिछड़ा घोषित कर दिया हो लेकिन जिले के किसान उमेश सिंह पॉली हाउस की वृहद खेती से नजीर बन गए हैं। हरैया सतघरवा ब्लॉक के गनवरिया गांव निवासी उमेश ने बालपुर गांव स्थित फार्म में 2500 वर्ग मीटर में पॉली हाउस लगाया है। जिसमें वह स्वयं के खेत में तैयार की गई जैविक खाद का प्रयोग कर खीरे की खेती करते हैं। रासायनिक पदार्थ रहित खीरे को मंडियों में बेचकर अच्छा मुनाफा कमा कमा रहे हैं। साथ ही अन्य किसानों को पॉली हाउस की खेती के फायदे बताकर गरीबी दूर करने का मंत्र दे रहे हैं। जिले में एकमात्र पॉली हाउस की खेती देखने के लिए बाराबंकी सीतापुर लखनऊ व फैजाबाद समेत कई जिलों से किसान यहां आते हैं।
बलरामपुर : नीति आयोग ने भले ही जिले को गोद लेकर पिछड़ा घोषित कर दिया हो, लेकिन जिले के किसान उमेश सिंह पॉली हाउस की वृहद खेती से नजीर बन गए हैं। हरैया सतघरवा ब्लॉक के गनवरिया गांव निवासी उमेश ने बालपुर गांव स्थित फार्म में 2500 वर्ग मीटर में पॉली हाउस लगाया है। जिसमें वह स्वयं के खेत में तैयार की गई जैविक खाद का प्रयोग कर खीरे की खेती करते हैं। रासायनिक पदार्थ रहित खीरे को मंडियों में बेचकर अच्छा मुनाफा कमा कमा रहे हैं। साथ ही अन्य किसानों को पॉली हाउस की खेती के फायदे बताकर गरीबी दूर करने का मंत्र दे रहे हैं। जिले में एकमात्र पॉली हाउस की खेती देखने के लिए बाराबंकी, सीतापुर, लखनऊ व फैजाबाद समेत कई जिलों से किसान यहां आते हैं।
मेरठ के किसानों से मिली प्रेरणा :
-सर्व यूपी ग्रामीण बैंक शाखा में क्षेत्रीय प्रबंधक रहे उमेश सिंह को पॉली हाउस खेती की प्रेरणा मेरठ में नौकरी के दौरान मिली थी। बकौल उमेश 2016 में सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने बालपुर में दूध की डेयरी खोली, लेकिन वाजिब मूल्य न मिलने से मुनाफा नहीं हुआ। एक दिन अचानक उन्हें मेरठ में पॉली हाउस खेती का ध्यान आया और उन्होंने इसे अमल में लाने की ठान ली। बालपुर स्थित फार्म में पॉली हाउस तैयार कर खीरे की खेती शुरू की। बताया कि इसमें 25 लाख की लागत आई है। जिस पर 50 प्रतिशत सरकार से अनुदान मिलना है।
मई तक होगी खेती :
-उमेश के मुताबिक प्रतिदिन चार क्विटल खीरा निकलता है। जिसे मंडियों में दस रुपये प्रति किलोग्राम की दर से थोक में मंडियों में बेच रहे हैं। बताया कि खीरे की खेती मई तक करेंगे। इसके बाद इसी पद्धति पर शिमला मिर्च की खेती शुरू करेंगे। जिले में पहला वर्मी कंपोस्ट प्लांट खेत में ही लगा रखा है। जिसके जरिए जैविक खेती करते हैं।