Move to Jagran APP

पॉली हाउस की खेती कर नजीर बने उमेश

नीति आयोग ने भले ही जिले को गोद लेकर पिछड़ा घोषित कर दिया हो लेकिन जिले के किसान उमेश सिंह पॉली हाउस की वृहद खेती से नजीर बन गए हैं। हरैया सतघरवा ब्लॉक के गनवरिया गांव निवासी उमेश ने बालपुर गांव स्थित फार्म में 2500 वर्ग मीटर में पॉली हाउस लगाया है। जिसमें वह स्वयं के खेत में तैयार की गई जैविक खाद का प्रयोग कर खीरे की खेती करते हैं। रासायनिक पदार्थ रहित खीरे को मंडियों में बेचकर अच्छा मुनाफा कमा कमा रहे हैं। साथ ही अन्य किसानों को पॉली हाउस की खेती के फायदे बताकर गरीबी दूर करने का मंत्र दे रहे हैं। जिले में एकमात्र पॉली हाउस की खेती देखने के लिए बाराबंकी सीतापुर लखनऊ व फैजाबाद समेत कई जिलों से किसान यहां आते हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Mar 2019 09:01 PM (IST)Updated: Sun, 24 Mar 2019 09:01 PM (IST)
पॉली हाउस की खेती कर नजीर बने उमेश
पॉली हाउस की खेती कर नजीर बने उमेश

बलरामपुर : नीति आयोग ने भले ही जिले को गोद लेकर पिछड़ा घोषित कर दिया हो, लेकिन जिले के किसान उमेश सिंह पॉली हाउस की वृहद खेती से नजीर बन गए हैं। हरैया सतघरवा ब्लॉक के गनवरिया गांव निवासी उमेश ने बालपुर गांव स्थित फार्म में 2500 वर्ग मीटर में पॉली हाउस लगाया है। जिसमें वह स्वयं के खेत में तैयार की गई जैविक खाद का प्रयोग कर खीरे की खेती करते हैं। रासायनिक पदार्थ रहित खीरे को मंडियों में बेचकर अच्छा मुनाफा कमा कमा रहे हैं। साथ ही अन्य किसानों को पॉली हाउस की खेती के फायदे बताकर गरीबी दूर करने का मंत्र दे रहे हैं। जिले में एकमात्र पॉली हाउस की खेती देखने के लिए बाराबंकी, सीतापुर, लखनऊ व फैजाबाद समेत कई जिलों से किसान यहां आते हैं।

loksabha election banner

मेरठ के किसानों से मिली प्रेरणा :

-सर्व यूपी ग्रामीण बैंक शाखा में क्षेत्रीय प्रबंधक रहे उमेश सिंह को पॉली हाउस खेती की प्रेरणा मेरठ में नौकरी के दौरान मिली थी। बकौल उमेश 2016 में सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने बालपुर में दूध की डेयरी खोली, लेकिन वाजिब मूल्य न मिलने से मुनाफा नहीं हुआ। एक दिन अचानक उन्हें मेरठ में पॉली हाउस खेती का ध्यान आया और उन्होंने इसे अमल में लाने की ठान ली। बालपुर स्थित फार्म में पॉली हाउस तैयार कर खीरे की खेती शुरू की। बताया कि इसमें 25 लाख की लागत आई है। जिस पर 50 प्रतिशत सरकार से अनुदान मिलना है।

मई तक होगी खेती :

-उमेश के मुताबिक प्रतिदिन चार क्विटल खीरा निकलता है। जिसे मंडियों में दस रुपये प्रति किलोग्राम की दर से थोक में मंडियों में बेच रहे हैं। बताया कि खीरे की खेती मई तक करेंगे। इसके बाद इसी पद्धति पर शिमला मिर्च की खेती शुरू करेंगे। जिले में पहला वर्मी कंपोस्ट प्लांट खेत में ही लगा रखा है। जिसके जरिए जैविक खेती करते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.