मुआवजे की दरकार, टूट रही सरकारी मदद की आस
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बलरामपुर :
राप्ती नदी की विनाश लीला में बेघर हुए साहिबानगर के कटान पीड़ितों को अब तक मुआवजा नहीं मिल सका है। 26 किसानों का घर व फसल नदी में कट गई, लेकिन प्रशासन ने उनकी सुधि लेना मुनासिब नहीं समझा। ऐसे में दाने-दाने को मोहताज लोग ग्रामीणों की मदद पर निर्भर हैं। आशियाना छिन जाने से परिवार पल्ली तानकर मौसम का सितम सहने को मजबूर है। जबकि संवेदनहीन अधिकारी सरकारी इमदाद दिलाने को आगे नहीं आ रहे हैं।
गांव निवासिनी चेतना का कहना है कि घर तो कट गया, अब किसी तरह पन्नी तान जीवन यापन कर रही हूं। लालमनि यादव बताते हैं कि नदी की कटान में घर समा गया, लेकिन अब तक मुआवजा नहीं मिल सका है। अफसर क्षति का आंकलन तो करने आते हैं, लेकिन मदद कब मिलेगी यह कोई नहीं बताता। बड़का का कहना है कि पक्का घर किसी तरह बनाया था, जो राप्ती मइया ने छीन लिया। मंशाराम ने बताया कि पीड़ित परिवार ग्रामीणों के रहमो करम पर गुजर-बसर कर रहे हैं। सहदेव ने बताया कि पिछले वर्ष हुई कटान का मुआवजा भी पीड़ितों को नहीं मिल सका है। ऐसे में इस बार का मुआवजा मिलने की उम्मीद न के बराबर है। लेखपाल महाराज नारायन का कहना है कि राप्ती नदी की कटान में जिनके मकान व खेत समा गए हैं, उनका सर्वे कर रिपोर्ट भेज दी गई है। जल्द ही पीड़ितों को मुआवजा दिलाया जाएगा।