Move to Jagran APP

गर्मी का सितम जारी, बिजली कटौती से बढ़ी परेशानी

श्चद्गश्रश्चद्यद्ग द्दद्गह्ल ड्डठ्ठठ्ठश्र4द्गस्त्र 2द्बह्लद्ध श्चश्र2द्गह्म ष्ह्वह्ल श्चद्गश्रश्चद्यद्ग द्दद्गह्ल ड्डठ्ठठ्ठश्र4द्गस्त्र 2द्बह्लद्ध श्चश्र2द्गह्म ष्ह्वह्ल श्चद्गश्रश्चद्यद्ग द्दद्गह्ल ड्डठ्ठठ्ठश्र4द्गस्त्र 2द्बह्लद्ध श्चश्र2द्गह्म ष्ह्वह्ल श्चद्गश्रश्चद्यद्ग द्दद्गह्ल ड्डठ्ठठ्ठश्र4द्गस्त्र 2द्बह्लद्ध श्चश्र2द्गह्म ष्ह्वह्ल

By JagranEdited By: Published: Thu, 04 Jul 2019 10:20 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jul 2019 06:26 AM (IST)
गर्मी का सितम जारी, बिजली कटौती से बढ़ी परेशानी
गर्मी का सितम जारी, बिजली कटौती से बढ़ी परेशानी

बलरामपुर :

loksabha election banner

नगर क्षेत्र के उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली मुहैया कराने का दावा पूरी तरह हवाई साबित हो रहा है। करीब एक माह से हो रही अघोषित बिजली कटौती ने उपभोक्ताओं की नींद उड़ा दी है। दिन-रात बिजली की आवाजाही से भीषण गर्मी में लोगों को चैन की नींद नहीं नसीब हो पा रही है। विद्युत विभाग के अधिकारी बाहर से कटौती होने की दुहाई देकर अपनी जिम्मेदारी से किनारा कर लेते हैं। जिसका खामियाजा नागरिकों को भुगतना पड़ता है।

नगर क्षेत्र की बिजली व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। आलम यह है कि दिन व रात दोनों समय बिजली कटौती जारी रहती है। दिन भर के मेहनत से थक-हार कर जब लोग सोने की तैयारी करते हैं तो बिजली गुल हो जाती जाती है। पसीने से तर-बतर लोग विभाग को कोसते रहते हैं। यही नहीं रात में कई बार बिजली जाने से लोगों की नींद पूरी नहीं हो पाती है। गर्मी से निजात पाने के लिए लोग हाथ पंखा का सहारा लेने को मजबूर होते हैं। सबसे ज्यादा परेशानी स्कूली बच्चों को होती है, जिन्हें रात में बिजली कटौती झेलने के बाद सुबह स्कूल जाना रहता है। अधिशासी अभियंता सुनील कुमार का कहना है कि लोकल फाल्ट होने पर उसे दूर करने में समय लगता है। इसलिए बिजली काट दी जाती है। उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली देने का पूरा प्रयास किया जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.