बया पक्षियों की चहचाहट से गांव हो रहे गुलजार
बलरामपुर : एक दशक बाद तराई क्षेत्र में बया पक्षियों की चहचाहट से तराई क्षेत्र के गांव गुलज
बलरामपुर : एक दशक बाद तराई क्षेत्र में बया पक्षियों की चहचाहट से तराई क्षेत्र के गांव गुलजार हो रहे हैं। इनकी संख्या में इजाफा होने से पर्यावरण प्रेमी खुशी का इजहार कर रहे हैं। वन प्रेमी व वन विभाग द्वारा इनके संरक्षण के लिए तराई के गांवों में जन जागरूकता लाने के लिए वन प्रेमियों से मिल कर संरक्षण करने की कवायद में जुट गए हैं। सोहेलवा जंगल से सटे तराई के गांवों में बया पक्षी पेड़ों पर घोसला बना कर रह रही है। अब इनका कुनबा बनकटवा व बराहवा रेंज के गांवों में देखने को मिल रहा है। एक से डेढ़ दशक पहले इन पक्षियों की संख्या में काफी गिरावट आई थी। इनकी संख्या कुकुरभुकवा, बरदौलिया, धर्मपुर में देखने को मिल रही है। पक्षी प्रेमी हरीश तिवारी के मुताबिक बया पक्षी नर-मादा एक साथ रह कर कटीले पेड़ों के टहनियों पर अपना घोंसला बनाती हैं। यह पक्षी स्वच्छ पर्यावरण की परिचायक है। मार्च माह शुरू होते ही नर-मादा मिल कर घास-फूस का घोंसला बनाना शुरू कर देते हैं। गर्मी आते ही मादा बया पक्षी घोंसले में अंडा देती हैं। यह पक्षी अधिकांश घोंसले कटीले पेड़ों पर पतली ड़ाल पर बनाते हैं। ताकि सर्प आदि से अंड़े व बच्चे सुरक्षित रह सके। वनक्षेत्राधिकारी बनकटवा तिलकराम आर्य ने बताया कि तराई क्षेत्र के गांवों में वर्तमान समय में बया पक्षी का कुनबा लगभग तीन सौ अधिक देखने को मिल रहा है। यह किसानों का मित्र पक्षी है। यह कीड़े-मकोड़ों को खाकर खेतों में लगी फसलों को अनेक बीमारी से बचता है।