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अफसर जागे तो मिल सकती है जल संकट से निजात

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By JagranEdited By: Published: Sat, 08 Jun 2019 09:58 PM (IST)Updated: Sat, 08 Jun 2019 09:58 PM (IST)
अफसर जागे तो मिल सकती है जल संकट से निजात
अफसर जागे तो मिल सकती है जल संकट से निजात

बलरामपुर : बरसाती पानी को जमीन के भीतर पहुंचाने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम को सरकारी कार्यालयों के परिसर में शुरू कराया जा सकता है। इससे न केवल सरकारी कार्यालयों में जलभराव की समस्या से निजात मिलेगी। बल्कि बरसात के पानी को वापस जमीन में भेजा जा सकेगा। इस प्रक्रिया की सरलता को देख कर अन्य लोगों को अपने घरों में भी बनवाने की प्रेरणा मिलेगी। तहसील, कोतवाली परिसर, बीज गोदाम, खंड विकास कार्यालय, सीएचसी, स्कूल, उपनिबंधक कार्यालय ऐसे स्थान हैं।जहां बरसात में काफी जलभराव हो जाता है। बाद में इस पानी को नाली में बहा दिया जाता है।

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ऐसे बनता है रेन वाटर हार्वेस्टिग टैंक

- घर या कार्यालय के किसी ऐसे हिस्से में चार फीट व्यास में सात फीट गहरा गड्ढा खोदा जाता है। गड्ढा के तल में कंकरीट या ईंटों की बजरी कूट दी जाती है। ताकि पानी की अशुद्धि ऊपर ही रुक जाए। बरसात के पानी को इस गड्ढे तक लाने के लिए नाली या पाइप का सहारा लिया जाता है। इस विधि के अतिरिक्त अब दूसरी विधि भी इस्तेमाल में लाई जा रही है। एक प्लास्टिक के बड़े ड्रम की साइज का गड्ढा खोद कर ड्रम के पेदे को काट कर गड्ढे में फिट कर दिया जाता है। नालियों या पाइपों की सहायता से बरसात के पानी को लाकर इस गड्ढे में गिरा दिया जाता है। इस प्रक्रिया मे औसतन दो हजार रुपये का व्यय आता है। इस हार्वेस्टिग सिस्टम से भूमिगत जल स्तर को बनाए रखा जा सकता। अगर सभी सरकारी कार्यालयों में इस तकनीक का इस्तेमाल शुरू कर दिया जाए तो जल भराव की समस्या से भी निजात मिल सकती है।

एसडीएम एके गौड़ का कहना है कि रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम जल संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण कदम है। सभी विभागाध्यक्षों को इस प्रक्रिया को अपनाने के लिए कहा जाएगा।

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